रूस को तत्काल नया परमाणु मिसाइल बनाने की क्या ज़रूरत है?
रूस के रक्षामन्त्री सिर्गेय शायगू ने बताया कि नया अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल ’सरमात’ बनाने वाला कारख़ाना रात-दिन चौबीसों घण्टे काम कर रहा है और इस नए मिसाइल का निर्माण कर रहा है।
यह इस बात का प्रमाण है कि रूस के लिए हमलावरों को रोकने में सक्षम इस नए मिसाइल का निर्माण करना रणनीतिक रूप से कितना ज़रूरी है।
’सरमात’ क्या है
तरल ईंधन पर काम करने वाले इस नए अन्तरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का कोड नाम है — आरएस-28। यह मिसाइल 100 टन का है और जब यह मार करता है तब तक इसका वज़न घटकर 10 टन रह जाता है। योजना के अनुसार, सन् 2020 तक यह हथियार रूसी रणनीतिक मिसाइल सेना में शामिल हो जाएगा। यह मिसाइल उस मिसाइल की जगह लेगा, जिसे आज दुनिया का सबसे भारी और भयानक मिसाइल माना जाता है, यानी यह मिसाइल रूसी सेना में तैनात 211 टन वज़नी पुराने पीएस-20वी यानी ’वयवोदा’ मिसाइल के स्थान पर तैनात किया जाएगा, हमले के समय जिसका वज़न घटकर 8.8 टन बाक़ी रह जाता है।
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रूस की ’तास’ समाचार समिति के सैन्य विश्लेषक वीक्तर लितोफ़किन ने रूस-भारत संवाद को बताया — पुराने मिसाइल के मुक़ाबले नया मिसाइल न केवल वज़न में बहुत हलका होगा, बल्कि उसकी मारक-दूरी भी बहुत ज़्यादा होगी। यदि ’शैतान’ सिर्फ़ 11 हज़ार किलोमीटर तक मार कर सकता था, तो ’सरमात’ 17 हज़ार किलोमीटर दूर तक मार कर सकता है। ’सरमात’ मिसाइल के निर्माताओं का कहना है कि ’सरमात’ दक्षिणी ध्रुव को पार करके वहाँ उपस्थित लक्ष्यों को भी निशाना बना सकता है, जबकि दक्षिणी ध्रुव की तरफ़ से किसी मिसाइल की मार का कोई अन्देशा नहीं होने की वजह से मिसाइल प्रतिरोधी कोई बाड़ उस तरफ़ नहीं बनाई गई है।
’सरमात’ मिसाइल के निर्माताओं ने बताया — ’सरमात’ पर पुराने मिसाइल की तरह 10 एटम बम नहीं लगे होंगे, बल्कि उनकी जगह 150-300 किलोटन के पन्द्रह बम तैनात होंगे, जो एक गुच्छे की शक़्ल में होंगे और जो बिखरकर फिर अपने-अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ जाएँगे और लक्ष्यों पर पहुँचकर उनको अपना निशाना बनाएँगे।
रूस की रणनीतिक सेना के पूर्व कमान-प्रमुख भूतपूर्व कर्नल-जनरल वीक्तर येसिन के अनुसार, ’सरमात’ मिसाइल पराध्वनिक गति से लैस हाइपरसोनिक मिसाइल होगा, जो ध्वनि की गति से पाँच गुना तेज़ गति यानी 6120 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ़्तार से उड़ेगा और जो उड़ते हुए बार-बार अपनी ऊँचाई और अपना रास्ता बदलता रहेगा ताकि कोई भी मिसाइल प्रतिरोधक प्रणाली उसे बीच में ही न रोक सके।
वीक्तर येसिन ने कहा — दुनिया में आज तक बनाई गई कोई भी मिसाइल प्रतिरोधक प्रणाली या भविष्य में बनाई जाने वाली ऐसी ही कोई भी प्रणाली ’सरमात’ मिसाइल को अपने लक्ष्य तक पहुँचने से नहीं रोक पाएगी। उसके लिए इन मिसाइलरोधक प्रणालियों का होना या न होगा, सब बराबर है।
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मस्क्वा (मास्को) से 4150 किलोमीटर दूर पूर्व में स्थित क्रस्नयार्स्क में तैनात रूसी मिसाइल सेना के दस्तों और मस्क्वा से 1450 किलोमीटर दूर अरिनबूर्ग में तैनात रूसी मिसाइल सेना के दस्तों को ये मिसाइल सबसे पहले दिए जाएँगे।
रूसी सेना में कितने ’सरमात’ होंगे
’वयवोदा’ मिसाइलों को हटाने के बाद कम से कम 154 कूप खाली होंगे। इससे पहले रणनीतिक हमलावर हथियार कटौती सन्धि – स्टार्ट-1 के आधार पर 154 कूपों से ’वयवोदा’ मिसाइल पहले ही हटाए जा चुके हैं। हालाँकि इन सभी कूपों में नए ’सरमाता’ मिसाइल तैनात नहीं किए जाएँगे, लेकिन उनकी संख्या स्टार्ट-3 सन्धि के अनुकूल होगी, जिसके अनुसार, अमरीका और रूस के पास 5 फ़रवरी 2018 को कुल 700-700 मिसाइल और उन पर तैनात किए जाने वाले कुल 1550-1550 एटम बम हो सकते हैं।
वीक्तर लितोफ़किन ने कहा — हर ’सरमात’ मिसाइल पर 15 एटम बम लगाए जा सकते हैं और सार्वजनिक सूचनाओं के अनुसार रूस के पास इस समय 521 मिसाइल और 1735 एटम बम हैं, जबकि अमरीका के पास 741 मिसाइल और 1481 एटम बम हैं।
रूस ने नया मिसाइल क्यों बनाया
विश्लेषकों का कहना है कि यह नया मिसाइल रणनीतिक हमलावर हथियार कटौती सन्धि – स्टार्ट-3 के कार्यकाल की समाप्ति के बाद यानी वर्ष 2021 में सेना में शामिल किया जाएगा। तब तक ’वयवोदा’ मिसाइल का कार्यकाल भी समाप्त हो जाएगा।
येसिन ने कहा — उसी समय सन् 2020 में अमरीका में उसकी परमाणु त्रयी यानी रणनीतिक बमवर्षक विमानों, बैलिस्टिक मिसाइलों और पनडुब्बियों का आधुनिकीकरण शुरू किया जाएगा, जिसके लिए अमरीका की सरकार ने दस ख़रब डॉलर से ज़्यादा रक़म सुनिश्चित की है। इस तरह हमारा यह नया मिसाइल ’सरमात’ हमारे दो देशों के बीच आज दिखाई देने वाले टकराव की स्थिति में रोकथाम के एक साधन के रूप में काम करेगा।
वर्ष 2016 से ही ’सरमात’ मिसाइल के परीक्षण किए जा रहे हैं। जैसाकि मिसाइल विशेषज्ञों का कहना है, फिलहाल ये परीक्षण ’ऊपरी’ परीक्षण हैं यानी भावी मिसाइलों को पुराने कूपों के आकार के अनुरूप बनाया जा रहा है। जैसाकि विशेषज्ञों ने बताया — हमारा रक्षा उद्योग इस मिसाइल के विभिन्न हिस्सों का लगातार उत्पादन करने के लिए तैयार है। इसका मतलब यह हुआ कि इन मिसाइलों की उड़ानों का पूरी तरह से परीक्षण करना सम्भव होगा।
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