यूरेशियाई आर्थिक संघ और भारत मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण पर बात करेंगे
यूरेशियाई आर्थिक संघ — 1 जनवरी 2015 से सक्रिय एक ऐसा आर्थिक संगठन है, जिसके रूस, अरमेनिया, बेलारूस, कज़ाख़स्तान और किर्गिज़िस्तान सदस्य हैं।
यरास्लाफ़ तरस्यूक ने कहा — भारत और रूस के व्यापारिक-आर्थिक सहयोग में इन दिनों बदलाव आ रहा है — उसकी दिशाएँ बदल रही हैं। दोनों देश लगातार आपसी व्यापार की स्थितियों को बेहतर बना रहे हैं और आपसी सहयोग के लिए नई सम्भावनाएँ पैदा कर रहे हैं। लेकिन अभी भी ऐसी बहुत-सी समस्याएँ बाक़ी रह गई हैं, जिन्हें दोनों देशों की सरकारें हल करने की कोशिश कर रही हैं।
यरास्लाफ़ तरस्यूक का मानना है कि इनमें सबसे बड़ी समस्या मालों के परिवहन को लेकर हो रही है, लेकिन रूस और भारत के बीच रेलमार्ग शुरू होने के बाद यह समस्या भी हल होती दिखाई दे रही है। राष्ट्रीय मुद्राओं में हिसाब-किताब रखने की उचित व्यवस्था न होने के कारण भी आपसी सहयोग के विकास में बाधा पैदा होती है। यरास्लाफ़ तरस्यूक का मानना है कि अगर भारतीय कम्पनियाँ भारत में काम कर रहे ’स्बेरबांक’ और ’वीटीबी’ बैंक (विदेश व्यापार बैंक) जैसे रूसी बैंकों का इस्तेमाल करें तो इस समस्या का समाधान भी हो सकता है। तीसरी समस्या यह है कि दोनों देशों की छोटी और मंझोली कम्पनियाँ आपसी व्यापार में कम दिलचस्पी ले रही हैं। इस समस्या का समाधान करने के लिए भारत में रूसी व्यापार केन्द्र खोलने की योजना बनाई जा रही है।
उम्मीद जताई जा रही है कि मुक्त व्यापार क्षेत्र समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद रूस और भारत के बीच व्यापार में तेज़ी से वृद्धि होगी और वर्ष 2025 तक दो देशों के बीच व्यापार बढ़कर 30 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा। दिसम्बर-2016 में रूस के साँक्त पितेरबुर्ग (सेण्ट पीटर्सबर्ग) नगर में रूस, कज़ाख़स्तान, किर्गिज़िस्तान और अरमेनिया के राष्ट्रपतियों ने यूरेशियाई आर्थिक संघ और भारत के बीच मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण का समझौता करने के लिए बातचीत शुरू करने के सवाल पर अपनी सहमति दे दी है।
2016 में रूस-भारत सम्बन्ध : एक समीक्षा