बड़ी कामयाब रही गोवा में रूस-भारत शिखर-वार्ता
17 वीं रूस-भारत शिखर मुलाक़ात में 16 सौदों पर हस्ताक्षर किए गए
15 अक्तूबर को भारत के पश्चिमी राज्य गोवा में 17 वीं रूस-भारत शिखर मुलाक़ात के दौरान कुल मिलाकर 16 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
इन समझौतों में ऊर्जा सम्बन्धी सौदों से लेकर सुरक्षा और निवेश सम्बन्धी सौदे भी शामिल हैं। लेकिन सबसे उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण सौदा मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली एस-400 त्रिऊम्फ़ की सप्लाई के बारे में हुआ है।
भारत रूस का प्राथमिकता प्राप्त विशेष सहयोगी है — पूतिन
हालाँकि इस मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली के बारे में हुए समझौते का विवरण अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है, लेकिन यह माना जा रहा है कि भारत एस-400 प्रणालियों की ख़रीद के लिए क़रीब 5 अरब अमरीकी डॉलर खर्च करेगा।
इसके अलावा भारत सरकार ने रूस से परियोजना 11356 के तीन फ़्रिगेट युद्धपोत ख़रीदने का भी फ़ैसला किया है। भारत के पास परियोजना 11356 के तलवार वर्ग के छह फ़्रिगेट युद्धपोत पहले से ही हैं, जिनका निर्माण कलीनिनग्राद के यन्तार युद्धपोत निर्माण कारख़ाने में किया गया था। भारतीय टेलीविजन चैनल ’दूरदर्शन’ पर बोलते हुए रूस में भारत के भूतपूर्व राजदूत अजय मल्होत्रा ने आलोपन (स्टैल्थ) तकनीक से लैस इन रूसी युद्धपोतों की बड़ी प्रशंसा की है।
मेक इन इण्डिया
भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के ’मेक इन इण्डिया’ कार्यक्रम को प्रोत्साहन देते हुए रूस और भारत दोनों देशों के बीच यह सहमति भी हुई है कि भारत में रूसी बहुउद्देशीय हैलिकॉप्टर कामोव 226टी का उत्पादन किया जाएगा। रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन के साथ सँयुक्त पत्रकार सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने कहा — हम भारत की सुरक्षा प्राथमिकताओं और भारतीय तक्नोलौजी के साथ तालमेल करके कामोव 226 टी हैलिकॉप्टरों, फ़्रिगेट युद्धपोतों और अन्य रक्षा-सामग्रियों का मिलकर उत्पादन करेंगे।
हालाँकि इस पत्रकार सम्मेलन में सीधे-सीधे पाकिस्तान का नाम नहीं लिया गया, लेकिन नरेन्द्र मोदी ने कहा — हमारे देश पर सीमापार से किए जाने वाले आतंकवादी हमलों के ख़तरे को गहराई से समझने और उसके ख़िलाफ़ हमारी लड़ाई को समर्थन देने के लिए हम रूस की सराहना करते हैं। भारत के प्रधानमन्त्री ने पत्रकार सम्मेलन में एक रूसी कहावत से अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा — एक पुराना दोस्त दो नए दोस्तों से बेहतर होता है।
भारत के आकाश में रूसी ’मिग’ विमानों का राज है
ऊर्जा और बुनियादी ढाँचा
रूस और भारत ने ऊर्जा और बुनियादी ढाँचे से जुड़े कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं।
रूस की विशालतम तेल कम्पनी ’रोसनेफ़्त’ ने अपनी कुछ सहयोगी कम्पनियों के साथ मिलकर नक़द भुगतान करके क़रीब 13 अरब अमरीकी डॉलर में भारतीय तेल कम्पनी एस्सार ऑयल को ख़रीद लिया है।
समाचार समिति रॉयटर के अनुसार, किसी रूसी कम्पनी द्वारा भारत में अब तक किया गया यह सबसे बड़ा विदेशी अधिग्रहण और विदेश में किया गया सबसे बड़ा ऐसा सौदा है, जिसमें धन रूस से बाहर गया है।
रोसनेफ़्त कम्पनी ने एस्सार ऑयल की 49 प्रतिशत हिस्सेदारी ख़रीदी है। बाक़ी 49 प्रतिशत हिस्सेदारी नीदरलैण्ड्स (हालैण्ड) की कम्पनी ट्राईफ़िगुरा और यूनाइटिड कैपिटल पार्टनर्स नामक एक रूसी निवेश कोष ने आधी-आधी ले ली है। एस्सार ऑयल के शेष 2 प्रतिशत शेयर कम्पनी के पुराने मालिकों के पास ही रहेंगे।
रूस भारत के बुनियादी ढाँचे में अपने निवेश बढ़ाने के लिए भी तैयार हो गया है। रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष और भारत के राष्ट्रीय बुनियादी ढाँचा निवेश कोष ने मिलकर 50-50 करोड़ डॉलर का निवेश करके भारत के लिए एक अरब डॉलर का एक बुनियादी ढाँचा कोष बनाया है। रूस ने चीन में भी ऐसा ही एक निवेश कोष बना रखा है। रूस के सुदूर-पूर्व के इलाके में भी ऐसा ही एक कृषि कोष काम कर रहा है।
भारत-रूसी सँयुक्त सैन्याभ्यास — इन्द्र 2016
भारत के आन्ध्र प्रदेश और हरियाणा राज्यों में भी रूसी कम्पनियाँ ’स्मार्ट सिटी’ बनाने के लिए निवेश करेंगी।
भारतीय रेल ने रूसी रेलवे के साथ नागपुर और सिकन्दराबाद के बीच में रेलगाड़ियों की गति बढ़ाने के लिए एक प्राथमिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
कुडनकुलम में तीसरे और चौथे यूनिटों का शुभारम्भ
विडियो काँफ़्रेंस के माध्यम से व्लदीमिर पूतिन और नरेन्द्र मोदी ने कुडनकुलम परमाणु बिजलीघर परियोजना में तीसरे और चौथे यूनिटों के काम का उद्घाटन किया।
व्लदीमिर पूतिन ने कहा — एटमी ऊर्जा ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा में उल्लेखनीय योगदान किया है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को आगे विकास करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन मिला है।
रूस के राष्ट्रपति ने कहा कि उनका देश आगे भी भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास को बढ़ावा देना जारी रहेगा। उन्होंने कहा — अगले 20 सालों में रूस की सहायता से भारत में कम से कम 12 परमाणु रिएक्टर बनाए जा सकते हैं।
युद्ध होने पर भारत रूस से कैसी सहायता चाहता है?
पूतिन ने दो देशों के बीच किए जा रहे आर्थिक सहयोग की भी बड़ी प्रशंसा की। उन्होंने कहा — हमारे दो देशों के उद्योगों के बीच आपसी सहयोग लगातार बढ़ता चला जा रहा है। हमारे बीच सैन्य और तकनीकी सहयोग भी बढ़ रहा है।
शिखर वार्ता के प्रमुख लाभ
मस्क्वा (मास्को) स्थित कर्नेगी केन्द्र के परमाणु अप्रसार कार्यक्रम के सहयोगी और रूस के दक्षिण एशिया सम्बन्धी विशेषज्ञ प्योतर तपिचकानफ़ ने रूस-भारत संवाद से कहा — इन समझौतों ने दिखाया कि रूसी-भारतीय रिश्तों के लिए सैन्य-प्रौद्योगिकी और ऊर्जा के क्षेत्र ही दीर्घकालीन सहयोग की मुख्य दिशाएँ हो सकती हैं।
उन्होंने कहा कि एस-400 मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली मिलने से भारत को बड़ा फ़ायदा होगा। क्षेत्रीय स्तर पर वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली एस-400 भारत की सामरिक शक्ति को काफ़ी बढ़ा देगी। इसे पाने के बाद भारत पाकिस्तान के सारे हवाई इलाके पर नियन्त्रण रख सकेगा।
उन्होंने कहा कि रूस और भारत को अब सहयोग के अपने पारम्परिक क्षेत्रों से और आगे जाने की ज़रूरत है। मस्क्वा (मास्को) स्थित कर्नेगी केन्द्र के परमाणु अप्रसार कार्यक्रम के सहयोगी और रूस के दक्षिण एशिया सम्बन्धी विशेषज्ञ प्योतर तपिचकानफ़ ने कहा — मुझे विश्वास है कि अब रूस और भारत के बीच सैन्य-तकनीक और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए निजी कंपनियों का सक्रिय रूप से उपयोग किया जा सकता है और रूसी और भारतीय कंपनियों के बीच मौजूदा संपर्कों का विस्तार करने के लिए नागरिक प्रौद्योगिकियों और उत्पादों का दोहरा उपयोग किया जाना चाहिए।
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