आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई का भारतीय अनुभव रूस के लिए भी उपयोगी
संस्कृति, विज्ञान और शिक्षा के विकास में सहायता देने वाले अन्तरराष्ट्रीय कोष ’मानवीयता, विकास और कानून-व्यवस्था’ के महानिदेशक यूरी नगेरनिक का कहना है कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई का भारतीय अनुभव रूस के लिए ज़्यादा उपयोगी है क्योंकि पश्चिमी यूरोप का अनुभव बहुत सीमित है। इसलिए पश्चिमी देशों के साथ इस दिशा में सहयोग करने की जगह रूस को भारत के साथ सहयोग करना चाहिए।
अन्तरराष्ट्रीय समाचार समिति ’रस्सिया सिवोदन्या’ द्वारा आयोजित ’मास्को-दिल्ली’ विडियो-कांफ़्रेंस में बोलते हुए उन्होंने कहा — मेरा ख़याल है कि आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में भारतीय अनुभव पश्चिमी यूरोप के अनुभव के मुक़ाबले रूस के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगा।
रूसी भालू अपनी ड्यूटी पर तैनात हैं
उन्होंने कहा — भविष्य को लेकर दोनों देशों का एक सा नज़रिया और आपसी हित रूस और भारत को एक-दूसरे से जोड़ते हैं और उन्हें एक-दूसरे का निकट का सहयोगी बनाते हैं। इसलिए घरेलू राजनीतिक स्थितियों में बदलाव के बावजूद हमारे दो देशों के बीच आपसी रिश्ते बहुत ऊँचे स्तर पर बने रहते हैं।
यूरी नगेरनिक ने कहा — आतंकवाद को रोकने के लिए भारत के साथ सहयोग करके सबसे पहले तो हमें इस बात का पूरा-पूरा विश्वास होगा कि हमारा यह सहयोग दिखावे के लिए किया जाने वाला सहयोग नहीं, बल्कि वास्तव में गम्भीर सहयोग है। दूसरे, हम यह विश्वास कर सकते हैं कि यह सहयोग हमेशा बना रहेगा और तीसरी बात जो ज़्यादा ज़रूरी है, वो यह कि हमारे दो देशों के बीच आपसी सहयोग रूस और पश्चिमी देशों के बीच सहयोग के मुक़ाबले कहीं ज़्यादा फ़ायदेमन्द होगा।
यूरी नगेरनिक के अनुसार, इसका कारण यह है कि भारत अलग-अलग दिशाओं से आतंकवाद का सामना कर रहा है। आतंकवाद के विभिन्न रूपों का सामना करने का भारत का अनुभव रूस के लिए वास्तव में बड़ा लाभप्रद रहेगा क्योंकि पश्चिमी अनुभव बहुत संकीर्ण और सीमित क़िस्म का है।
रूस के विदेश मन्त्रालय के मस्क्वा राजकीय अन्तरराष्ट्रीय सम्बन्ध संस्थान के अन्तरराष्ट्रीय शोध एवं विश्लेषण केन्द्र के निदेशक अन्द्रेय कज़ान्सेफ़ ने इस अवसर पर बोलते हुए यूरी नगेरनिक की बात का समर्थन किया और कहा कि रूस और भारत की दिलचस्पी इस बड़े इलाके में शान्ति और स्थिरता को बनाए रखने में है, जिसमें अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और मध्य एशिया के देश आते हैं। उन्होंने कहा कि इस इलाके में विभिन्न रूपों में रूसी-भारतीय सहयोग का विकास करना चाहिए और उसे जारी रखना चाहिए।
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