अब रूस की राष्ट्रीय गारद दीवारों के आर-पार देख सकेगी
हलका सफ़री राडार दीवार के पीछे छुपे लोगों के दिल की धड़कन सुनेगा
रूस की संघीय राष्ट्रीय गारद सैन्य सेवा (फ़ेडरल सर्विस ऑफ़ नेशनल गार्ड्स ट्रूप्स) के सैन्य दस्तों को जल्दी ही हलके और इधर-उधर ले जाने में आसान ऐसे सफ़री राडार दे दिए जाएँगे, जो यह जानकारी दे सकेंगे कि मोटी-मोटी दीवारों के पीछे भी कुछ लोग छुपे हुए हैं या नहीं। यह राडार न सिर्फ़ इमारतों के भीतर छुपे आतंकवादियों और अपराधियों का पता लगा सकेंगे, बल्कि उनको ज़मींदोज़ बंकरों और भूमिगत सुरंगों में भी खोज निकालेंगे।
इस नवीनतम आरओ-900 स्तेनावीज़र-राडार का निर्माण ’लोगिस-गिओतेख़’ कम्पनी-ग्रुप ने किया है। यह राडार 21 मीटर की दूरी पर भी हिलने-डुलने या चलने वाले किसी भी व्यक्ति का पता लगा लेता है, चाहे राडार और व्यक्ति के बीच में 60 सेण्टीमीटर तक मोटी कंक्रीट की कितनी ही दीवारें क्यों न खड़ी हों। यह राडार मिलने के बाद रूस की राष्ट्रीय गारद के सैनिक किसी इमारत में छिपे आतंकवादियों से सुरक्षित दूरी बनाए हुए उनका आराम से पता लगा लेंगे। राडार की मदद से सुरक्षा-बलों को यह भी पता लग जाएगा कि इमारत के दूसरी तरफ़ क्या हो रहा है। आतंकवादी इमारत के किन हिस्सों में आ-जा रहे हैं। और जो आतंकवादी इमारत में बिना हिले-डुले अविचल खड़े होंगे, उनके दिल की धड़कन से उनकी उपस्थिति की पूरी-पूरी जानकारी हो जाएगी।
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दीवारों के आर-पार देखने वाला यह स्तेनावीज़र राडार इतना छोटा और हलका है कि इसे लेकर कहीं भी आया-जाया जा सकता है। इस राडार का वज़न एक किलोग्राम से भी कम है।
नवीनतम आरओ-900 स्तेनावीज़र-राडार के हर तरह के परीक्षण किए जा चुके हैं और सभी परीक्षणों में यह खरा उतरा है। आजकल यह राडार रूस की ख़ुफ़िया एजेन्सियों को सप्लाई किया जा रहा है। ’लोगिस-गिओतेख़’ कम्पनी-ग्रुप के इंजीनियरिंग खोज विभाग के प्रमुख ईगर विदिनेइफ़ ने समाचारपत्र इज़्वेस्तिया को बताया — अगले साल से हम रूस की राष्ट्रीय गारद को भी स्तेनावीज़र राडार की सप्लाई शुरू कर देंगे। रूस के गृह मन्त्रालय और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने भी हमारे इस राडार को ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की है। रूस के आपदा राहत मन्त्रालय ने भी इस राडार में गहरी दिलचस्पी दिखाई है। वह दुर्घटनाओं और भूकम्प जैसी प्राकृतिक दुर्घटनाओं के दौरान मलबे में दबे लोगों को ढूँढ़ने के लिए इस राडार का इस्तेमाल करेगा।
यह आरओ-900 स्तेनावीज़र-राडार भूभौतिक रेडियो तरंग खोजक (जीओस्कैनर-रेडियोलोकेटर) के सिद्धान्त के अनुसार काम करता है और रेडियो तरंगों को न सिर्फ़ हवा के माध्यम से ग्रहण करता है, बल्कि मिट्टी और इमारतों की दीवारों जैसी बाधाओं को पार करके आने वाली रेडियो तरंगों को भी ग्रहण करने की क्षमता रखता है।
यह आरओ-900 स्तेनावीज़र-राडार एक एण्टिना रहित वायरलेस सैट या ट्राँजिस्टर की तरह है। इसकी साढ़े तीन इंच की रंगीन स्क्रीन पर आसपास के 21 मीटर के इलाके में मनुष्य द्वारा की जा रही सभी गतिविधियाँ दिखाई देती हैं। लाल रंग की खड़ी क्षैतिज रेखाओं के रूप में हर हिलते-डुलते अदृश्य और गतिवान मानव की छवि स्क्रीन पर दिखाई देती है और ऊर्ध्वाकार रेखाएँ यह दिखाती हैं कि ये मानव इस राडार से कितनी दूर और किस दिशा में स्थित हैं तथा ये रेखाएँ यह भी बताती हैं कि ये मनुष्य कितने समय के भीतर किस तरह की गतिविधियाँ कर रहे हैं।
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अगर छुपा हुआ मनुष्य अपनी दिशा या आयाम बदलकर कोई गतिवधि बार-बार कर रहा है तो यह राडार उस मनुष्य के हृदय की धड़कन और उसकी छाती में आने वाले बदलाव को पकड़कर उस गतिविधि के दोहराव की जानकारी भी दे देता है। 20 सैकिण्ड तक किसी भी गतिविधि पर नज़र रखकर और उसका विश्लेषण करके यह राडार क्षैतिज या खड़ी नीली रेखाओं के रूप में दीवारों के पीछे छुपे मनुष्यों के बारे में जानकारी प्रसारित करने लगता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि शहरों के भीतर होने वाली लड़ाइयों के दौरान या आतंकरोधी कार्रवाइयों के दौरान यह स्तेनावीज़र राडार सुरक्षा-बलों की बड़ी सहायता करेगा।
इण्टरनेट परियोजना ’अतवागा-2004’ (यानी बहादुरी-2004) वेबसाइट के प्रशासक लिआनीद कर्याकिन ने समाचारपत्र ’इज़्वेस्तिया’ से बात करते हुए कहा — खुफ़िया विभागों और सुरक्षा-बलों को शहरी इलाकों या बस्तियों में कोई भी सैन्य कार्रवाई करते हुए बेहद सतर्क और सावधान रहना पड़ता है ताकि उस कार्रवाई में आम नागरिक हताहत न हों। कभी-कभी तो यह तय करना भी मुश्किल हो जाता है कि किसी इमारत में कितने अपराधी या कितने आतंकवादी छुपे हुए हैं। अगर उस इमारत पर अन्धा हमला किया जाए तो सुरक्षा-बलों के हताहत होने का ख़तरा बना रहता है। हालत तब और मुश्किल हो जाती है, जब आतंकवादी या अपराधी इमारत में लोगों को बन्धक बना लेते हैं। तब चारवि (चालक रहित विमानों) और रोबोटों के माध्यम से भी आतंकवादियों की टोह ले सकना सम्भव नहीं होता।
लिआनीद कर्याकिन ने कहा — नाटो के सदस्य देशों के सुरक्षा-बल इस स्थिति में तथाकथित सामरिक राडारों और युद्धक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं और यह पता लगाते हैं कि किसी इमारत में या दीवारों के पीछे क्या गतिविधियाँ चल रही हैं। लिआनीद कर्याकिन ने बताया कि ये राडार भी पोर्टेबल होते हैं और यह बता देते हैं कि दीवार के उस पार कितने लोग हैं और वे कहाँ-कहाँ खड़े हुए हैं या बैठे हुए हैं। लेकिन सिर्फ़ इतनी जानकारी काफ़ी नहीं होती। ये राडार सिर्फ़ एक ही दीवार के आर-पार देख पाते हैं और उन लोगों को नहीं ढूँढ़ पाते जो इमारत में कहीं गहराई में छुपे हुए हैं। इसलिए रूस में बनाया गया आरओ-900 स्तेनावीज़र-राडार एक अनूठा उपकरण है, जो रूसी सुरक्षा-बलों के लिए और ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिए बड़ा उपयोगी सिद्ध होगा।
पहली बार इज़्वेस्तिया में प्रकाशित।
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