नई रूसी पनडुब्बी ’ब्लैक होल’ अनूठी क्यों है
रूसी रक्षा उद्योग में शामिल कारख़ानों में परियोजना संख्या 636.3 की छठी डीजल-इलैट्रोनिक पनडुब्बी ’कोलपिना’ का निर्माण पूरा हो गया है। इस पनडुब्बी का निर्माण काले सागर में स्थित नए रूसी नौसैनिक अड्डे पर तैनात करने के लिए किया गया है।
यह पनडुब्बी 2500 किलोमीटर दूर तक मार करने वाले नवीनतम ’कैलीबर पीएल’ क्रूज मिसाइलों से लैस है।
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इस पनडुब्बी को क्रस्नादार प्रदेश के नवरस्सीस्क शहर में स्थित नए रूसी नौसैनिक अड्डे में तैनात किया जाएगा। लेकिन अभी तक इस पनडुब्बी को वहाँ तैनात करने के लिए गोदी का निर्माण नहीं किया गया है, इसलिए फ़िलहाल यह पनडुब्बी काले सागर में गश्त लगाएगी और सिवस्तोपल बन्दरगाह पर तैनात रहेगी।
रूस के भूतपूर्व उप-नौसेनाध्यक्ष और काले सागर में स्थित रूसी नौसैनिक बेड़े केपूर्व कमाण्डर ईगर कसतोनफ़ ने बताया कि यह पनडुब्बी इतनी ज़्यादा शक्तिशाली है कि वह सामान्य पनडुब्बियों के मुक़ाबले तीन-चार गुना ज़्यादा दूरी से ही दुश्मन के राडारों का पता लगा लेती है।
इस पनडुब्बी की आलोपन की विशेषता यानी गहरे पानी में जा छुपने की इसकी ख़ासियत की वजह से उत्तरी अटलाण्टिक सैन्य गठबन्धन यानी नाटो ने इस पनडुब्बी को ’ब्लैक होल’ यानी कृष्ण-छिद्रा नाम दिया है।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए ईगर कसतोनफ़ ने बताया — पिछले साल के आख़िर में इन नई पनडुब्बियों की कार्यक्षमता का प्रदर्शन पहली बार किया गया था, जब इसी परियोजना के आधार पर बनाई गई पनडुब्बी ’रस्तोफ़ न दनू’ ने सीरियाई आतंकवादियों के ठिकानों पर ’कैलीबर’ क्रूज मिसाइलों से हमला किया था।
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अब ’कोलपिना’नामक इस नई पनडुब्बी के मिलने के बाद काले सागर में स्थित रूसी नौसैनिक बेड़े के नवरस्सीस्क नौसैनिक अड्डे पर तैनात पनडुब्बियों के दस्ते के गठन का काम पूरा हो जाएगा।
ईगर कसतोनफ़ ने बताया कि रूसी रक्षा उद्योग के पनडुब्बी कारख़ानों में प्रशान्त महासागरीय रूसी नौसैनिक बेड़े के लिए भी सन् 2020 तक छह ऐसी ही और पनडुब्बियाँ बनाई जाएँगी।
नए नौसैनिक अड्डे के निर्माण की वजह
सोवियत संघ के पतन के बाद शुरू में काले सागर के तटवर्ती नगर नवरस्सीस्क में इस नौसैनिक अड्डे का निर्माण इस वजह से किया जा रहा था क्योंकि रूस और उक्रईना के बीच मतभेद पैदा हो गए थे। 1991 में उक्रईना ने क्रीमिया के सिवस्तोपल नौसैनिक अड्डे को रूस को किराए पर दे दिया था। तब क्रीमिया उक्रईना में शामिल था। लेकिन सिवस्तोपल नौसैनिक अड्डे में कोई भी बदलाव सिर्फ़ उक्रईना की संसद की सहमति से ही किए जा सकते थे। यहाँ तक कि सिवस्तोपल में तैनात किसी युद्धपोत पर कोई छोटा-मोटा बदलाव करना होता था तो उसके लिए भी उक्रईना की संसद से इजाज़त लेनी पड़ती थी।
लेकिन सन् 2014 में क्रीमिया प्रायद्वीप उक्रईना से अलग होकर रूस में शामिल हो गया। इसके बाद काले सागर में स्थित रूसी नौसैनिक बेड़े का भी आधुनिकीकरण किया जाने लगा।
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रूस-भारत संवाद से बात करते हुए समाचार समिति ’तास’ के सैन्य-विशेषज्ञ वीक्तर लितोफ़किन ने बताया — सिवस्तोपल की खाड़ी समुद्र में ऐसी जगह पर स्थित है, जो रूस के लिए बड़ी फ़ायदेमन्द है। नवरस्सीस्क में नए नौसैनिक अड्डे का निर्माण करने के बाद अब रूस तुर्की के पास बनी बोसफ़ोरस की खाड़ी को भी नियन्त्रित कर सकता है, बल्गारिया की सैन्य गतिविधियों पर नज़र रख सकता है और रोमानिया में बने उस अमरीकी सैन्य अड्डे से पैदा होने वाले ख़तरे को बेअसर कर सकता है, जो अमरीका ने यूरोप में स्थापित की जा रही अपनी मिसाइल प्रतिरोध व्यवस्था के अन्तर्गत रोमानिया में स्थापित किया है।
रूस के राजनीतिक और सैन्य विश्लेषण केन्द्र के निदेशक अलिक्सान्दर ख़्रामचीख़िन ने बताया कि पूर्वी यूरोप में स्थित अमरीकी मिसाइल प्रतिरोधी व्यवस्था रूस के लिए इसलिए ख़तरनाक है क्योंकि वह किसी भी क्षण मिसाइल प्रतिरोधी व्यवस्था की जगह मिसाइल हमलावर व्यवस्था में बदल सकती है और इस व्यवस्था में शामिल मिसाइलों व अन्य हथियारों का रूस पर हमला करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
ख़्रामचीख़िन ने बताया — अमरीकी मिसाइल प्रतिरोधी व्यवस्था में शामिल मिसाइलों को हटाकर उनके लिए बनाए गए कूपों में कभी भी मिसाइल प्रक्षेपक तोपें तैनात की जा सकती हैं या फिर मिसाइल प्रतिरोधी व्यवस्था के मिसाइलों को छोड़ने के लिए वहाँ तैनात स्टैण्डर्ड एसएम-3 तोपों का ही इस्तेमाल सामरिक हमलावर टोमोहॉक क्रूज मिसाइलों को रूस पर छोड़ने के लिए किया जा सकता है।
रूस के नए नौसैनिक अड्डे के फ़ायदे और नुक़सान
विशेषज्ञों का कहना है कि काले सागर में स्थित रूसी नौसैनिक बेड़े का एक सकारात्मक पक्ष यह है कि इस बेड़े में शामिल युद्धपोतों को और पनडुब्बियों को एक ही इलाके में अलग-अलग नौसैनिक अड्डों पर तैनात किया जा सकता है। लेकिन नवरस्सीस्क नौसैनिक अड्डे का इस्तेमाल बहुत कुछ इस पर निर्भर करता है कि इस इलाके का मौसम कैसा है।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए समाचार समिति ’तास’ के सैन्य-विशेषज्ञ वीक्तर लितोफ़किन ने बताया — नवरस्सीस्क नौसैनिक बेड़े के तटवर्ती इलाके में कोहकाफ़ पर्वतमाला के क्षेत्र से लगातार तेज़ उत्तरी हवाएँ हमले करती हैं और वे अपने रास्ते में आने वाले युद्धपोतों और मकानों को तहस-नहस करने की कोशिश करती हैं। ये तेज़ हवाएँ युद्धपोतों को समुद्र से उठाकर तटवर्ती इलाकों में फेंक सकती हैं और सेना के बुनियादी ढाँचे को नष्ट कर सकती हैं। हालाँकि नवरस्सीस्क नौसैनिक अड्डे का निर्माण करते हुए इन हवाओं के ख़तरे को ध्यान में रखा गया है और इस तरह से इस अड्डे का निर्माण किया गया है कि इन हवाओं का नौसैनिक अड्डे पर कोई नकारात्मक असर न पड़े। वीक्तर लितोफ़किन ने बताया कि रूस कोहकाफ़ के पहाड़ों में एक अतिरिक्त सुरंग बना रहा है, जिसका निर्माण पूरा होने के बाद इन खतरनाक हवाओं का ख़तरा दूर हो जाएगा।
परियोजना 636.3 की पनडुब्बी ’वर्शव्यान्का’
जल के ऊपर गति-क्षमता — 17 समुद्री मील से ज़्यादा (31.4 किलोमीटर प्रतिघण्टा) जल के भीतर गति-क्षमता — 20 समुद्री मील ( 37 किलोमीटर प्रतिघण्टा) पानी के भीतर अधिकतम कार्यदिवस — 45 दिन चालक-दल — 52 व्यक्ति पानी के ऊपर पनडुब्बी की जल विस्थापन क्षमता 2350 टन और पानी के भीतर — 3950 टन पनडुब्बी की लम्बाई — 73,8 मीटर पनडुब्बी की चौड़ाई — 9,9 मीटर डुबाव — 6,2 मीटर पनडुब्बी कितनी गहराई में तैर सकती है — 240 मीटर, अधिकतम — 300 मीटरपनडुब्बी पर तैनात हथियार :
’कैलीबर पीएल’ क़िस्म के चार क्रूज मिसाइल 533 मिलीमीटर कलीबर के 6 टारपीडो कुल गोला-बारूद — 18 टारपीडो और 24 बारूदी सुरंगे
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