भारतीयों को ओपेरा गायन सिखाने वाली रूसी गायिका
भारत के लोग संगीत से बड़ा लगाव रखते हैं। अक्सर भारत के लोग भारतीय शास्त्रीय गायन सीखते हैं और उसका ख़ूब रियाज़ करते हैं। लेकिन ऐसा बहुत कम देखने में आता है कि भारतीय लोग पश्चिमी शास्त्रीय संगीत भी सीखते हों और उसका रियाज़ करते हों। ओपेरा गायन और पश्चिमी भजन गायन के मामले में हमारी यह बात विशेष रूप से लागू होती है। रूस के तूला शहर की निवासी और ओपेरा निर्देशक नादेझ्दा वलेरव्ना बल्यान पिछले दस साल से भारत में ही रह रही हैं। ओपेरा निर्देशन और गायन के अपने निजी अभिनव तरीके से वे भारतीयों को पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सिखाती हैं।
नाद्या बल्यान पिछले कुछ वर्षों से नीमराना संगीत फाउण्डेशन के गायकों को प्रशिक्षण दे रही हैं। हाल ही में उन्होंने नीमराना संगीत फाउण्डेशन की गायकमण्डली के साथ मुम्बई की यात्रा की। इस दौरान ’रूस-भारत संवाद’ ने उनसे बातचीत की। इस बातचीत के दौरान नाद्या बल्यान ने बताया कि भारत में संगीत गुरु और गायनमण्डली संचालिका के रूप में उनका जीवन लगभग आठ साल पहले शुरू हुआ था। नाद्या ने तूला स्थित द्ज़िझ़िन्स्की संगीत महाविद्यालय और मस्कवा के राजकीय संस्कृति व कला विश्वविद्यालय में संगीत की शिक्षा पाई। उसके बाद वे तूला शहर में ही संगीत सिखाने लगीं और एक गायनमण्डली का संचालन करने लगीं। 2006 में वे अपने परिवार के साथ भारत चली आईं।
2008 में उन्हें नई दिल्ली स्थित रूसी सांस्कृतिक केन्द्र के संगीत विद्यालय की प्रमुख बना दिया गया। इसके बाद उन्होंने सिटी क्वायर मिन्स्ट्रेल्स (नगर गायनमण्डली गवैये) की गायनमण्डली के संचालक के रूप में काम किया। 2011 में वे दिल्ली की चैम्बर गायनमण्डली से जुड़ गईं।
नाद्या बल्यान सन् 2013 से ही नीमराना संगीत फाउण्डेशन के साथ जुड़ी हुई हैं। नीमराना संगीत फाउण्डेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है, जो भारत में ओपेरा गायन को बढ़ावा देने और भारतीय संगीतप्रेमियों को संगीत की शिक्षा देने के क्षेत्र में काम करता है। नीमराना संगीत फाउण्डेशन भारतीय संगीतकारों को भारत व अन्य देशों में रहकर संगीत की पढ़ाई करने के लिए छात्रवृत्तियाँ भी देता है। नीमराना फाउण्डेशन की स्थापना स्वर्गीय फ़्रान्सिस वाक्ज़ियर्ग ने की थी। अब उनकी पुत्री प्रिया ओड वाक्ज़ियर्ग नीमराना फाउण्डेशन की देखरेख करती हैं। नीमराना फाउण्डेशन ‘नीमराना होटल’ समूह का अंग है, जिसे भारत की कुछ ऐतिहासिक निजी इमारतों को आधुनिक ऐतिहासिक होटलों का रूप देने के लिए जाना जाता है।
/ Alexandra Katz
नीमराना संगीत फाउण्डेशन ने पिछले कुछ सालों में भारत तथा अन्य देशों में अनेक ओपेरा नाटकों (गीतिनाट्यों) का मंचन किया है। नाद्या बल्यान ने ही इन प्रस्तुतियों के लिए नीमराना संगीत फाउण्डेशन की गायनमण्डली को प्रशिक्षण दिया है। नाद्या बल्यान ने बताया कि भारत में संगीत शिक्षा की कोई औपचारिक प्रणाली नहीं है, जिस कारण से भारतीय गायकों को पश्चिमी गायन संगीत सिखाते हुए उन्हें हमेशा बहुत ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
नाद्या बल्यान ने संगीत की शिक्षा-दीक्षा रूस में ली थी। रूस में संगीत प्रशिक्षण की प्रणाली बहुत सुदृढ़ और विश्वसनीय है। रूस में संगीत के छात्रों को सात साल तक प्रारम्भिक शिक्षा (संगीत विद्यालय), फिर चार साल तक माध्यमिक शिक्षा (संगीत महाविद्यालय) और उसके बाद पाँच साल तक उच्च शिक्षा (संगीत अकादमी) दी जाती है। जबकि नाद्या बल्यान को भारत में कुछ ऐस गायकों को भी प्रशिक्षण देना पड़ता है, जिन्हें संगीत पत्रक तक पढ़ना नहीं आता।
नाद्या बल्यान ने बताया — रूस में तो आप ऐसी स्थिति की कल्पना भी नहीं कर सकते। किन्तु भारत में इस तरह के अनेक लोग मिल जाते हैं, जिनमें संगीत सीखने की अद्भुत प्रतिभा होती है या उनकी आवाज बड़ी अच्छी होती है, लेकिन उन्हें पश्चिमी संगीत के सुरों को पढ़ना तक नहीं आता। कभी-कभी तो मुझे गान के हर खण्ड की धुन को गाकर बताना या रिकार्ड करना पड़ता है ताकि गायनमण्डली के सदस्य स्वर लिपियों को याद कर सकें। उल्लेखनीय है कि ओपेरा में आम तौर पर उच्चतम स्वर, स्त्री मन्द्रक, उच्च स्वर और पुरुष मन्द्रक नामक चार ध्वनि खण्ड होते हैं।
गायकों को गाना सिखाते हुए और यह बताते हुए कि उन्हें किस तरह से गाना चाहिए, नाद्या बल्यान अक्सर अँग्रेज़ी, हिन्दी का और कभी-कभार रूसी भाषा का भी सहारा लेती हैं। इस तरह नाद्या बल्यान अपने अभिनव तरीके से भारतीय गायकों को पश्चिमी शास्त्रीय संगीत का प्रशिक्षण देती हैं।
नाद्या बल्यान ने कहा — यह समझाना आसान नहीं है कि मैं इन भारतीय गायकों से क्या चाहती हूँ क्योंकि मेरी और उनकी पृष्ठभूमि और संस्कृति काफ़ी अलग है। यही नहीं संगीत की शिक्षा और संगीत के अनुभव में भी हम एक-दूसरे से काफ़ी अलग होते हैं। परन्तु मैंने इस समस्या का भी रास्ता खोज लिया है। गायकों को गायन के विषयों को समझाते हुए मैं अक्सर रामायण, महाभारत या भारतीय फिल्मों के उदाहरण देती हूँ। इसके अलावा मैं भारत की आम ज़िन्दगी से भी अनेक उदाहरण खोज निकालती हूँ। जैसे रोमियो व जूलियट का ही उदाहरण लें, इसे समझाने के लिए मैं भारत के अन्तरजातीय प्रेम-विवाहों का उदाहरण देती हूँ, जिनका यहाँ आम तौर पर दोनों ओर के परिवार विरोध करते हैं!
नाद्या बल्यान और दिल्ली में रहने वाले दूसरे अनेक रूसी संगीतकार अब ऐसा संगीत विद्यालय या स्टूडियो स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जिसमें छात्रों को रूसी संगीत की पारम्परिक शिक्षा प्रणाली के सिद्धान्तों के आधार पर शिक्षा दी जाएगी। इस संस्थान में छात्रों को न केवल अपनी पसन्द के वाद्ययन्त्र को बजाने या गायन की शिक्षा दी जाएगी, बल्कि वे सरगम-अभ्यास, सैद्धान्तिक पक्ष, स्वर-संगति, बन्दिश, चैम्बर संगीत तथा सहगान भी सीखेंगे। इस संस्थान के छात्रों को हर साल परीक्षा भी देनी होगी।
नाद्या बल्यान ने बताया — हम लोग अब रूस में संगीत की शिक्षा देने वाले किसी नामी संस्थान से मान्यता लेने की सम्भावना तलाश रहे हैं। इस तरह हम अपने भारतीय छात्रों को उनका पाठ्यक्रम पूरा होने पर एक आधिकारिक रूप से मान्य प्रमाणपत्र दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि भारत भी धीरे-धीरे पश्चिमी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के आधिकारिक मानकों की ओर बढ़ रहा है।