ब्रिक्स के देश एड्स व टीबी जैसी बीमारियों से मिलकर लड़ेंगे
ब्रिक्स समूह के देश ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिणी अफ़्रीका एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों के विरुद्ध अधिक प्रभावशाली ढंग से संघर्ष करने के लिए मिलकर शोध व अनुसन्धान का काम करेंगे। नई दिल्ली में ब्रिक्स के देशों के स्वास्थ्य-मन्त्रियों की छठी बैठक में भाग लेने के बाद रूस के स्वास्थ्य उपमन्त्री दिमित्री कस्तेन्निकफ़ ने समाचार समिति ’तास’ को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा — महत्वपूर्ण बात तो यह है कि ब्रिक्स के अन्तर्गत न केवल प्रौद्योगिकी का आदान-प्रदान किया जाए और मिलकर औषधियों का उत्पादन किया जाए बल्कि गम्भीर बीमारियों के इलाज के लिए किए जाने वाले अनुसन्धान और शोधकार्य भी मिलकर किए जाएँ, क्योंकि स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़ी महत्वपूर्ण समस्याओं को एक साथ मिलकर ही हल किया जा सकता है। एड्स की बीमारी, टीबी की बीमारी और ऐसी ही कुछ दूसरी बीमारियाँ ब्रिक्स के सदस्य देशों के लिए भारी ख़तरा बनी हुई हैंं। इन खतरनाक संक्रामक बीमारियों का मुक़ाबला करने के लिए मिलकर काम करना ज़रूरी है।
रूस के स्वास्थ्य उपमन्त्री दिमित्री कस्तेन्निकफ़ ने बताया कि नई दिल्ली में हुई बैठक में सँयुक्त रूप से किए जाने वाले अनुसन्धानों और शोध कार्यों के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए ब्रिक्स विकास बैंक के संसाधनों का उपयोग करने के सवाल पर भी विचार किया गया। इसके अलावा ब्रिक्स देशों के स्वास्थ्य मन्त्रियों ने इस काम के लिए एक विशेष कोष बनाने की सम्भावना पर भी विचार किया। यह कोष ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन के प्रमुख विशेषज्ञों को एकजुट करने और एक साथ लाने में योग दे सकता है।
रूस के स्वास्थ्य उपमन्त्री दिमित्री कस्तेन्निकफ़ ने बताया कि रूसी विशेषज्ञों को एड्स सहित विभिन्न संक्रामक बीमारियों के विरुद्ध सँघर्ष करने का बड़ा अनुभव है और वे दूसरे देशों से अपना यह अनुभव बाँट सकते हैं। उन्होंने कहा — एडस की बीमारी के फैलने के कारणों पर दस साल तक भारी काम करके रूसी वैज्ञानिक बड़े पैमाने पर एड्स की रोकथाम करने में सफल हुए हैं। आज रूस में एड्स संक्रमित माताओं के 98% स्वस्थ बच्चे पैदा हो रहे हैं। इसके साथ-साथ हम तपेदिक की बीमारी से भी सफलतापूर्वक लड़ रहे हैं। पिछले आठ साल में तपेदिक के मरीज़ों की संख्या में साढ़े 32 प्रतिशत की कमी हुई है। तपेदिक के कारण मरने वाले लोगों की संख्या में भी 60.2 प्रतिशत की कमी हुई है। इस तरह रूस दुनिया में औसतन दूसरे देशों से आगे है।
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