रूस इतना महाविशाल देश कैसे बना?
रूस – दुनिया का सबसे विशालतम देश है, जिसका क्षेत्रफल 1 करोड़ 71 लाख वर्ग किलोमीटर है। रूस इतना विशालकाय है कि उसमें फ़्राँस जैसे पच्चीस देश, भारत जैसे पाँच देश और चीन जैसे दो देश समा सकते हैं। रूस इतना महाविशाल देश कैसे बना, इसके कारण हमें रूस का इतिहास पढ़कर ही मालूम होंगे।
शुरू में रूस का गठन भी यूरोपीय देशों की तरह ही हुआ था। पन्द्रहवीं-सोलहवीं सदी तक रूस में भी बहुत से राजे-रजवाड़े और रियासतें थीं, जिनके बीच आपस में झगड़े होते रहते थे और अक्सर लड़ाइयाँ व युद्ध चलते रहते थे। लेकिन बाद में मस्क्वा रियासत शक्तिशाली होती चली गई। मस्क्वा के राजाओं और ज़ारों ने दूसरी सभी रियासतों को हराकर अपने साथ जोड़ लिया और रूसी ज़मीनों को एकजुट किया। इन सभी रियासतों में रूसी लोग रहा करते थे।
पूर्व की ओर बढ़त
इसके बाद रूस का विकास दिलचस्प ढंग से हुआ। ज़ार इवान चतुर्थ ग्रोज़्नी (1533-1584) के शासनकाल में रूस ने उराल पर्वतमाला के उस पार बसे साइबेरियाई और सुदूर-पूर्व के इलाकों की ओर ध्यान देना शुरू किया और उन्हें अपने राज्य में जोड़ने लगा। आज पूरे रूस का 77 प्रतिशत हिस्सा एशियाई भूभाग है। साइबेरिया के रूस में जुड़ने के बाद ही रूस दुनिया का सबसे बड़े देश बन गया।
भारत में रूसी बहू
पूर्वी ज़मीनों को रूस में मिलाने के लिए मस्क्वा साम्राज्य को कोई ख़ास दिक़्क़त नहीं हुईं। वर्ष 1645 में ही रूस की पहुँच प्रशान्त महासागर तक हो गई थी। अन्तरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ के अध्यक्ष व्लदीमिर कोलसफ़ ने इसके दो कारण बताए हैं कि साइबेरिया और सुदूर-पूर्व की तरफ़ आगे बढ़ते हुए रूसी सेनाओं को किसी बड़े विरोध और किसी बाधा का सामना क्यों नहीं करना पड़ा।
व्लदीमिर कोलसफ़ ने रूस-भारत संवाद से कहा – इसका पहला कारण तो यह है कि साइबेरिया का यह इलाका भयानक रूप से ठण्डा इलाका है और वहाँ कोई नहीं रहता था। आज भी वहाँ जनसंख्या इतनी कम है कि औसतन एक वर्ग किलोमीटर में सिर्फ़ दो ही व्यक्ति रहते हैं। सत्रहवीं सदी में तो जनसंख्या इससे भी बहुत कम थी। दूसरी बात यह है कि साइबेरिया में जो आदिवासी जनजातियाँ रहती थीं, ज़्यादातर उन्हें रूस के वहाँ पहुँचने से किन्हीं समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ा। इसलिए उन्होंने रूस के साथ जुड़ने में ज़रा भी आनाकानी नहीं की।
विशालकाय रूसी साम्राज्य
व्लदीमिर कोलसफ़ ने कहा – रूसी लोगों ने साइबेरिया पहुँचकर स्थानीय आदिवासियों का दमन करना नहीं शुरू किया। रूसी लोगों की दिलचस्पी मुख्य तौर पर फ़र की खालों में थी। विभिन्न जानवरों की फ़र की ये खालें रूसी व्यापारी यूरोप को निर्यात करना चाहते थे, जो बड़ी क़ीमती मानी जाती थीं। इस इलाके में रहने वाले आदिवासी समुदायों के जीवन के तौर-तरीके पहले की तरह बने रहे। रूसियों ने उनके जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं किया। उनपर अपने रस्म-ओ-रिवाज़ नहीं लादे। रूसी साम्राज्य ने एक छोटे से ’यसाक’ (टैक्स) के बदले उन्हें सुरक्षा की पूरी गारण्टी दी। और यह व्यवस्था सभी को पसन्द आई। इस तरह बड़े शान्तिपूर्ण ढंग से रूस में साइबेरिया का विलय हो गया।
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लेकिन दक्षिण में और पश्चिम दिशा में रूसी साम्राज्य का विकास धीरे-धीरे हुआ। रूस को पोलैण्ड, तुर्की और इस इलाके के दूसरे शक्तिशाली देशों के साथ कई लड़ाइयाँ लड़नी पड़ीं। लेकिन इन लड़ाइयों के परिणामस्वरूप रूस फैलकर एक विशाल साम्राज्य में बदल गया। आज के रूस के मुक़ाबले भी तब रूस बहुत बड़ा था और 2 करोड़ 18 लाख वर्ग किलोमीटर के इलाके में फैला हुआ था।
वर्ष 1865 में रूसी साम्राज्य के एक उच्चाधिकारी अलिक्सान्दर पलफ़त्सोफ़ ने कहा था – रूस इतना फैल गया है कि उसका संचालन करना भी मुश्किल हो गया है। कभी-कभी तो यह समझना भी मुश्किल हो जाता है कि रूस के सीमा-क्षेत्रों में क्या कुछ हो रहा है।
विशाल क्षेत्रफल और कम जनसंख्या
रूसी साम्राज्य की जगह जब सोवियत संघ सामने आया तो वह आकार में और फैल गया था। तब सोवियत संघ का कुल क्षेत्रफल 2 करोड़ 24 लाख वर्ग किलोमीटर था।
15 विभिन्न देशों के रूप में सोवियत संघ का पतन होने के बाद रूस अपने वर्तमान स्वरूप में सामने आया।
अपने महाविशाल क्षेत्रफल के बावजूद जनसंख्या की दृष्टि से रूस दुनिया का नौवाँ बड़ा देश माना जाता है। रूस की जनसंख्या बस, 14 करोड़ 60 लाख है जो जापान की जनसंख्या से सिर्फ़ एक करोड़ ज़्यादा है। जबकि रूस के इलाके में जापान जैसे 45 देश समा सकते हैं। अन्तरराष्ट्रीय भौगोलिक संघ के अध्यक्ष व्लदीमिर कोलसफ़ ने बताया कि रूस का सुदूर-पूर्व और साइबेरिया का ज़्यादातर इलाका निर्जन पड़ा रहता है। उत्तरी ध्रुव के पास के रूसी इलाके में तो कोई नहीं रहता क्योंकि वहाँ भयानक ठण्ड पड़ती है और बेहद ठण्डी हवाएँ चलती रहती हैं। इस इलाके में मौसम ऐसा है कि मनुष्य के लिए वहाँ रह पाना बेहद कठिन है।
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