भारत पाँच एस-400 वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणालियाँ ख़रीदेगा
भारत 5.8 अरब डॉलर खर्च करके रूस से पाँच एस-400 ’त्रिऊम्फ़’ वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणालियाँ ख़रीदना चाहता है। समाचार पत्र इकोनोमिक टाइम्स ने यह जानकारी दी है।
अख़बार के मुताबिक जल्दी से जल्दी यह सुरक्षा प्रणाली पाने के लिए भारत हथियारों की आपूर्ति के इस नियम में छूट देने के लिए भी तैयार है कि विदेश से ख़रीदे जाने वाले हथियारों के एक हिस्से का भारत में ही उत्पादन किया जाए। इसका मतलब यह है कि भारत बिना ऑफ़सेट के ही यह अनुबन्ध करना चाहता है।
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रूस के अन्तरराष्ट्रीय तकनीकी सहयोग निगम ’रोसतेख़’ के महानिदेशक वीक्तर क्लादफ़ ने इकोनोमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा — जहाँ तक मैंने सुना है, इस अनुबन्ध में ऑफ़सेट ज़रूरी नहीं होगा। यह एक सामरिक परियोजना है, जो दोनों देशों के लिए बहुत ज़रूरी है।
अख़बार के मुताबिक, शुरू में भारत रूस से इस तरह की सिर्फ़ दो प्रणालियाँ ख़रीदेगा और उनको इस्तेमाल करके देखेगा। अगर ये प्रणालियाँ भारतीय सेना को उपयोगी लगेंगी तो भारत बाक़ी तीन प्रणालियाँ भी ख़रीद लेगा। इस अनुबन्ध के बारे में अन्तिम बातचीत अगले महीने की जाएगी।
वीक्तर क्लादफ़ ने कहा कि रूस इस अनुबन्ध की सभी शर्तें स्वीकार करने के लिए तैयार है और वह ’मेक इन इण्डिया’ की शर्त का पालन करने के लिए भी तैयार है। लेकिन इस शर्त पर अमल किए जाने से भारत को ये प्रणालियाँ मिलने में एक-दो साल की देर हो सकती है। इसलिए इस अनुबन्ध में ऑफ़सेट की शर्त नहीं रखी गई है। क्लादफ़ ने कहा कि अगर अनुबन्ध में ऑफ़सेट की शर्त नहीं होगी तो रूस 2019-2020 में एस-400 की सप्लाई शुरू कर देगा।
अक्तूबर, 2016 में गोआ में हुए रूस-भारत शिखर-सम्मेलन में भारत और रूस ने एस-400 ‘त्रिऊम्फ़’ वायु सुरक्षा मिसाइल प्रणाली की ख़रीद-फ़रोख़्त के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
2015 में चीन ने भी रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली ख़रीदने के लिए एक अनुबन्ध किया था। अनुमान है कि चीन रूस से नई वायुसुरक्षा प्रणाली की तीन रेजीमेण्टें (यानी छह डिविजनें) ख़रीदेगा। तीन अरब डॉलर के इस अनुबन्ध की 2017 में आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी।
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