रूसी अन्तरिक्ष-यात्री अन्तरिक्ष में और पृथ्वी पर कैसे रहते हैं?
पहले अन्तरिक्ष यात्री यूरी गगारिन को एक बार दुहरा वेतन मिला था — एक वेतन उन्हें सेना में पायलट के रूप में मिला और दूसरा वेतन अन्तरिक्ष-यात्री के रूप में। अन्तरिक्ष-यात्री के रूप में वेतन उन्हें बस एक ही बार मिला। वह भी सिर्फ़ उन घण्टों के लिए, जो उन्होंने अन्तरिक्ष में बिताए थे। इसके अलावा अपनी अन्तरिक्ष उड़ान के लिए उन्हें ढेरों उपहार मिले थे। उपहार के रूप में उन्हें एक फ़्लैट दिया गया, ’वोल्गा’ कार दी गई, उन्हें ढेर से कपड़े सिलवाकर दिए गए और ’लाल कालीन पर’ उनका स्वागत किया जाने लगा। और भी न जाने कितनी ही तरह के उपहार उन्हें मिलते रहे। अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली महिला अन्तरिक्ष-यात्री वलिन्तीना तिरिशकोवा को भी उपहार में एक फ़्लैट दिया गया था। इसके अलावा उन्हें तरह-तरह की पोशाकें, लेडीज़ बैग, स्टॉकिंंग्स, शानदार जूते आदि अनेक उपहार दिए गए थे।
आज भी दुहरा वेतन
अन्तरिक्ष उड़ान और पायलट के रूप में आकाश में उड़ने के लिए अलग-अलग वेतन दिए जाने की परम्परा अभी तक सुरक्षित है। आम तौर पर सभी रूसी अन्तरिक्ष-यात्री उच्च स्तरीय पेशेवर पायलट भी हैं, जो वायुसैनिक विमान या नागरिक विमान उड़ाते हैं। पृथ्वी पर काम करने के लिए रूस की सरकार उन्हें अलग से डेढ़ से ढाई हज़ार डॉलर प्रतिमाह वेतन के रूप में देती है। इसके अलावा उन्हें काम की कुल अवधि के हिसाब से वार्षिक बोनस और राजकीय पुरस्कार भी मिलते हैं। इसके अलावा उन्हें पायलट के रूप में परीक्षक उड़ानें भरने के अवसर भी मिलते हैं। परीक्षक उड़ान भरने पर वेतन के 40 प्रतिशत हिस्से से 140 प्रतिशत हिस्से तक हर माह अतिरिक्त आय होती है। इसके बाद जब ये पायलट अन्तरिक्ष उड़ान भरते हैं तो अन्तरिक्ष उड़ान के दौरान उन्हें हर महीने 25 हज़ार डॉलर अलग से दिए जाते हैं।
अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली महिला वलिन्तीना तिरिशकोवा
जबकि अमरीकी अन्तरिक्ष-यात्रियों को हर महीने ज़मीन पर काम करने के लिए 66 हज़ार डॉलर से 1 लाख 55 हज़ार डॉलर तक दिए जाते हैं। अन्तरिक्ष उड़ान भरते हुए उनके वेतन इससे ज़्यादा होते है, लेकिन दोनों वेतनों में कोई बहुत ज़्यादा फ़र्क नहीं होता। अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान अमरीकी अन्तरिक्ष-यात्री को अधिकतम वेतन 1 लाख 70 हज़ार डॉलर तक मिल सकता है।
साल भर तकलीफ़ उठाओ औ’ अन्तरिक्ष में जाओ
अन्तरिक्ष यात्रियों का चुनाव करते हुए उनकी मनोवैज्ञानिक अनुकूलता और उनके क़द की जाँच की जाती है। आम तौर पर छोटे क़द के लोगों को ही अन्तरिक्ष यात्री के रूप में चुना जाता है। इसका कारण यह है कि छोटे क़द के आदमी का वज़न कम होता है और उसे अन्तरिक्ष में पहुँचाने के लिए कम ईंधन खर्च करना पड़ता है।
अन्तरिक्ष यात्रा की तैयारी में बहुत कम समय लगता है। आम तौर पर परीक्षण उड़ानें भरने वाले पायलटों में से ही अन्तरिक्ष यात्रियों का चुनाव किया जाता है क्योंकि ये लोग हमेशा शारीरिक रूप से चुस्त-दुरुस्त होते हैं। इनका शरीर और दिमाग हर तरह का दबाव सहने का आदी होता है। नए से नए लड़ाकू और सैनिक हवाई जहाज़ों को उड़ाते हुए, उन विमानों के पैंतरे बदलते हुए तथा उड़ते विमानों से बाहर कूदकर जान बचाने की कोशिश करते हुए उनका शरीर और दिमाग हर तरह का दबाव झेलने के लिए तैयार होता है।
Roscosmos
प्रसिद्ध सोवियत और रूसी अन्तरिक्ष यात्री मूसा मनारफ़ ने बताया — मेरा ख़याल है कि अगर ज़रूरी हो तो किसी भी आदमी को कुछ ही महीने में अन्तरिक्ष यात्रा के लिए तैयार किया जा सकता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि अपनी अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान वह व्यक्ति अपनी टीम में क्या काम करेगा या अन्तरिक्ष स्टेशन में किस तरह के अनुसन्धानों और शोधों में भाग लेगा।
दुनिया के पहले अन्तरिक्ष यात्री यूरी गगारिन की भारत-यात्रा
बिना उपवास और प्रतिबन्ध के
रूसी अन्तरिक्ष यात्रियों को अपनी यात्रा की तैयारी के दौरान या अपनी अन्तरिक्ष यात्रा के दौरान किसी भी तरह के खाने से परहेज नहीं करना पड़ता। लेकिन अन्तरिक्ष उड़ान संचालन केन्द्र अन्तरिक्ष यात्रियों का भोजन बड़े ध्यान से तैयार कराता है। किसी को भी अन्तरिक्ष में भेजने से पहले इस बात का अध्ययन किया जाता है कि भावी अन्तरिक्ष यात्री को भोजन में क्या-क्या चीज़ें पसन्द हैं। उसके लिए सन्तुलित आहार की सूची तैयार की जाती है और फिर उस सूची के अनुसार ही उसके लिए भोजन की तैयारी की जाती है।
/ RIA Novosti
रूसी अन्तरिक्ष केन्द्र के अन्तर्गत अन्तरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन बनाने का काम एक फ़ैक्ट्री में किया जाता है। यह ध्यान रखा जाता है कि आहार विभिन्न किस्म का हो। उसमें परम्परागत सूपों से लेकर कबाब तक सब तरह के पकवान होते हैं। कुछ तरह का भोजन अनिवार्य होता है, जो अन्तरिक्ष यात्रियों को इसलिए खाना पड़ता है ताकि शरीर में विटामिनों और खनिजों की कमी नहीं हो।
सर्दियों में अन्तरिक्ष में काम
जाड़े के दिनों में अन्तरिक्ष में काम करने वाले अन्तरिक्ष-यात्रियों को हर डेढ़ घण्टे में सूर्योदय और सूर्यास्त का सामना करना पड़ता है यानी कुल 16 बार उन्हें इस प्रक्रिया से गुज़रना पड़ता है। इसलिए अन्तरिक्ष यात्री जाड़ों के टाइम-टेबल के हिसाब से ही रहते हैं। अगर वे ऐसा नहीं करेंगे तो उनकी जैविक लय बिगड़ जाएगी और वे बीमार हो जाएँगे, उन्हें नींद नहीं आएगी। एक और बात ऐसी है, जिसे जानकर अन्तरिक्ष यात्री ख़ुश हो जाते हैं कि अन्तरिक्ष में भारहीनता की स्थिति में सोते हुए वे खर्राटे नहीं लेंगे।
करियर और जीवन से जुड़ी घटनाएँ
ऐसे अन्तरिक्ष यात्रियों की संख्या बहुत कम है, जो कई बार अन्तरिक्ष में गए हैं। ज़्यादातर अन्तरिक्ष यात्री बस, एक-दो बार ही अन्तरिक्ष में जा पाते हैं क्योंकि इन अन्तरिक्ष-यात्रियों को किसी विशेष अनुसन्धान के लिए, किसी वैज्ञानिक या तकनीकी शोध के लिए तैयार किया जाता है।
सन् 2013 में पाविल विनग्रादफ़ ने अन्तरिक्ष में अपना 60 वाँ जन्मदिन मनाया था। स्रोत :
अन्तरिक्ष यात्रियों की उम्र आम तौर पर 32 से 38 वर्ष होती है। यह उम्र अन्तरिक्ष यात्रा के लिए श्रेष्ठ समझी जाती है। लेकिन ऐसे भी उदाहरण हैं, जब अधिक उम्र के लोगों ने अन्तरिक्ष यात्रा की है। जैसे सन् 2013 में पाविल विनग्रादफ़ ने अन्तरिक्ष में अपना 60 वाँ जन्मदिन मनाया था। अमरीकी अन्तरिक्ष यात्री जॉन ग्लेन तो जब आख़िरी बार अन्तरिक्ष में गए थे तो उनकी उम्र 77 साल थी।
अन्तरिक्ष में कौन कितना समय बिताएगा, यह भी एक तकनीकी सवाल होता है। रूसी अन्तरिक्ष यात्री वलेरी पलिकोफ़ ने अभी तक अन्तरिक्ष में सबसे लम्बा समय बिताया है। वे अन्तरिक्ष स्टेशन मीर में 438 दिन तक रहे थे।
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