अलिक्सान्दर इवनोफ़ से मिलिए : एक आम रूसी आदमी क्या सोचता है?
इस ठेठ रूसी आदमी का नाम है अलिक्सान्दर। 1950 से ही यह नाम रूस में सर्वाधिक लोकप्रिय नाम है। इनका कुलनाम 'इवनोफ़' भी रूस में उतना ही आम-फ़हम है, जितना उनका नाम। हालाँकि रूस के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग नाम मशहूर हैं। रूस में 190 से ज़्यादा जातियों और जनजातियों के लोग रहते हैं। और ठेठ रूसी आदमी का नाम मस्क्वा (मास्को) से 1587 किलोमीटर दूर स्थित दगिस्तान प्रदेश की राजधानी 'मखच्कला' में मगोमेद (यानी मौहम्मद) भी हो सकता है। हमारा अलिक्सान्दर इवनोफ़ वहाँ एक अजूबे की तरह, एक विदेशी की तरह दिखाई देगा। लेकिन इसके बावजूद, चूँकि रूस में ज़्यादातर लोग रूसी जाति के ही हैं, इसलिए ठेठ रूसी आदमी का नाम भी अलिक्सान्दर (या साशा) ही होना चाहिए।
एण्ड्रायड और उधार में डूबा जीवन
तो यह ठेठ रूसी आदमी अलिक्सान्दर (या साशा) इवनोफ़ जिस शहर में रहता है, उसकी जनसंख्या दस लाख से कम है। यह शहर किसी प्रदेश की राजधानी है। अलिक्सान्दर के लड़कपन और युवावस्था के लापरवाह दिन बीत चुके हैं और अब वह रूस का एक गम्भीर नागरिक हो चुका है। वह 40 साल का है और उस पर तरह-तरह की ज़िम्मेदारियाँ लदी हुई हैं। वह अपने परिवार के साथ रहता है और रोज़ अपने काम पर आता-जाता है।
इवनोफ़, इवानिन्का, इवानाविच - रूसी कुलनामों का क्या मतलब होता है?
जैसाकि हम ऊपर बता चुके हैं, वह एक व्यापारी के यहाँ काम करता है। लेकिन अपने काम को लेकर उसके मन में कोई उत्साह नहीं दिखाई देता। नौकरी उसके लिए, बस, आय का एक साधन है ताकि वह ज़िन्दा रह सके। इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है कि उसकी तनख़्वाह का एक तिहाई हिस्सा हर महीने ईएमआई (ऋण की मासिक किश्त) चुकाने में निकल जाता है। अलिक्सान्दर को हर महीने वेतन के रूप में 35 हज़ार 744 रूबल (यानी करीब 45 हज़ार रुपए) मिलते हैं, लेकिन उसका मानना है कि उसे उसकी योग्यता के अनुसार, पूरा वेतन नहीं मिलता है। उसे ज़्यादा वेतन मिलना चाहिए।
साशा के परिवार में एक बच्चा और पत्नी हैं। इसके अलावा उन्होंने घर में एक बिल्ली भी पाली हुई है। ज़्यादातर रूसी घरों में आपको बिल्ली ज़रूर मिलेगी। साशा की बीवी का नाम येलेना है। येलेना भी रूस में सबसे लोकप्रिय नाम है। इनका फ़्लैट बहुत शानदार नहीं है और वह एक सामान्य फ़्लैट है। परिवार के हर सदस्य के लिए इस फ़्लैट में 24.4 वर्गमीटर जगह है। उनके घर में दो टेलीविजन हैं, कम्प्यूटर है और कपड़े धोने की मशीन भी है। 70 से 80 प्रतिशत रूसी लोगों के घर ऐसे ही होते हैं। साशा के पास एण्ड्रोयड स्मार्टफ़ोन है और वह हर रोज़ इण्टरनेट का इस्तेमाल करता है। उसके पास कोई 'मेड इन रशिया' कार है या फिर कोई सस्ती विदेशी कार है।
ज़्यादातर रूसी लोगों की तरह अलिक्सान्दर भी बीड़ी-सिगरेट नहीं पीता। लेकिन समय-समय पर शराब पीना उसे पसन्द है। हालाँकि अगर आँकड़ों पर विश्वास किया जाए तो पिछले दौर में उसने पीना कम कर दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि रूस में छाए आर्थिक संकट की वजह से उसे शराब पर खर्च की जाने वाली रक़म बचाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इसके अलावा रूस में सन् 2013 से रात में शराब की बिक्री करने पर रोक लगी हुई है। अलिक्सान्दर इवनोफ़ को सबसे ज़्यादा बीयर पीना पसन्द है। वह साल भर में क़रीब 60 लीटर बीयर पी जाता है। अलिक्सान्दर को गर्म देशों में आराम करना पसन्द है। वह इस बात पर बेहद ख़ुश है कि पिछले साल से रूसी लोग फिर घूमने के लिए तुर्की जाने लगे हैं। वह ख़ुद भी तुर्की जाने की योजना बना रहा है।
रूसी लोग इतनी ज़्यादा क्यों पीते हैं?
पूतिन ठीक हैं, लेकिन ग़रीबी ठीक नहीं है
अलिक्सान्दर देश-विदेश की राजनीति में गहरी दिलचस्पी लेता है, लेकिन वह ख़ुद राजनीति से दूर ही रहना चाहता है। वह रूढ़िवादी विचारों का आदमी है। उसे विश्वास है कि जब उतार-चढ़ाव नहीं होते तो ऐसी हालत देश के लिए ठीक होती है, इसलिए देश में आने वाले बदलावों में उसे ज़रा भी विश्वास नहीं है। शायद इसकी एक वजह यह भी है कि उसका जन्म 1977 में हुआ था, जब सोवियत संघ में बदलावों का दौर शुरू हो गया था। और फिर 1991 में सोवियत संघ का पतन ही हो गया। उसे इस बात पर पछतावा होता है कि इतिहास में इस तरह का मोड़ आया। रूस के इतिहास में उसे सबसे ज़्यादा गर्व महान् देशभक्तिपूर्ण युद्ध यानी दूसरे विश्व-युद्ध में रूस की विजय पर होता है। बीसवीं सदी के स्वदेशी नेताओं में से वह लिअनीद ब्रिझनेफ़ को सबसे ज़्यादा पसन्द करता है।
लेकिन ब्रिझनेफ़ से भी कई गुना ज़्यादा उसे पसन्द हैं, रूस के वर्तमान राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन। अलिक्सान्दर इवनोफ़ पूरी तरह से पूतिन का समर्थक है और वह उनके हर काम का बड़े जोश के साथ समर्थन करता है। इसीलिए मार्च-अप्रैल में रूस में पूतिन की लोकप्रियता 82.7 प्रतिशत हो गई है। रूस के सभी राजनीतिज्ञों के बीच पूतिन पर ही लोग सबसे ज़्यादा विश्वास करते हैं। पूतिन के बाद दूसरे नम्बर पर रक्षामन्त्री सिर्गेय शायगू आते हैं और तीसरे नम्बर पर दिमित्री मिदवेदफ़। लेकिन ये दोनों ही व्यक्ति लोकप्रियता की दृष्टि से पूतिन से बहुत पीछे हैं।
परन्तु पूतिन पर विश्वास करने का मतलब यह नहीं है कि साशा रूस की राजकीय प्रणाली को भी पूरी तरह से पसन्द करता है। उसका मानना है कि रूसी समाज में आय में बड़ी असमानता दिखाई देती है, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। अपनी आय और अपने ऋणों को लेकर साशा और उसका परिवार बेहद चिन्तित रहते हैं। रूस में महँगाई लगातार बढ़ती जा रही है और रूसी जनता के बीच एकजुटता ख़त्म हो रही है। आज रूस की ये दो बड़ी समस्याएँ हैं। साशा का मानना है कि सरकार को जनता की सहायता करनी चाहिए। देश का बजट ऐसा होना चाहिए कि उसमें सबसे पहले चिकित्सा सुविधाओं और जनता की सामाजिक सुविधाओं का ध्यान रखा जाए।
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रूस महाशक्ति है, पर परिवार सबसे ज़्यादा ज़रूरी है
साशा दुनिया के हाल-चाल पर नज़र रखता है और अन्तरराष्ट्रीय मंच पर रूस की विदेश नीति को लेकर सन्तुष्ट है। रूस में कराए गए जन-सर्वेक्षणों के अनुसार, रूसी जनता को रूस की विदेश नीति बहुत पसन्द है। रूस की आर्थिक और सामाजिक नीतियों के मुक़ाबले विदेश नीति कहीं बेहतर है। अलिक्सान्दर को अमरीकी नीतियाँ ज़रा भी पसन्द नहीं हैं क्योंकि अमरीका दुनिया में नकारात्मक भूमिका निभा रहा है। इसी बात को लेकर वह यूरोसंघ और उक्रईना को भी पसन्द नहीं करता। लेकिन बेलारूस और चीन उसे बेहद पसन्द हैं।
ज़्यादातर रूसियों की तरह अलिक्सान्दर भी पक्का देशभक्त है। वह रूसी जाति को एक महान् जाति मानता है। उसका मानना है कि रूस को महाशक्ति की अपनी भूमिका बरकरार रखनी चाहिए। साशा का माना है कि दुनिया के कुछ दूसरे देशों की तरफ़ से रूस के लिए सैन्य ख़तरा पैदा हो सकता है। लेकिन उसे अपनी रूसी सेना पर पूरा-पूरा विश्वास है कि रूसी सेना इस ख़तरे से निबट सकती है। हाल ही में 3 अप्रैल को साँक्त पितेरबुर्ग (सेण्ट पीटर्सबर्ग) में घटी आतंकवादी घटना के बाद साशा बेहद घबराया हुआ है और अक्सर आतंकवाद को लेकर सोच-विचार करता है।
लेकिन इस सब के बावजूद अलिक्सान्दर इवनोफ़ आशावादी है और ख़ुद को एक सुखी आदमी मानता है। समाजशास्त्रियों के अनुसार, उसके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी यह है कि परिवार में सुख और शान्ति बनी रहे, परिवार का कोई सदस्य बीमार न हो, आपस में लड़ाई-झगड़ा न हो। और दुनिया की समस्याओं और चिन्ताओं से उसका कोई ख़ास लेना-देना नहीं है। दुनिया की आर्थिक समस्याएँ और दूसरी समस्याएँ भी उसे बहुत ज़्यादा परेशान नहीं करतीं। साशा का मानना है कि आदमी को सुख सबसे पहले परिवार में सुख-शान्ति और बच्चों से ही मिलता है।
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