रूस और भारत आर्थिक सहयोग तेज़ी से बढ़ाएँगे
रूस और भारत ने अपने इस वादे को दुहराया है कि वे बहुत ही मन्द गति से आगे बढ़ रहे द्विपक्षीय व्यावसायिक रिश्तों में नई जान फूँकने के लिए व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को मज़बूत बनाने की ओर ध्यान केन्द्रित करेंगे। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बीते सप्ताह 9 से 13 जनवरी के बीच गाँधीनगर में सम्पन्न हुए आठवें वाइब्रेण्ट गुजरात वैश्विक आर्थिक सम्मेलन के दौरान विस्तार से बातचीत हुई। सम्मेलन के दौरान आयोजित रूस-भारत व्यावसायिक मंच की बैठक में रूसी और भारतीय प्रतिनिधिमण्डलों ने इस सिलसिले में अपने-अपने अनुभवों का आदान-प्रदान किया और व्यापारिक व आर्थिक दृष्टि से दो देशों के विभिन्न प्रदेशों के बीच सहयोग सहित द्विपक्षीय सहयोग की सम्भावनाओं पर गहन विचार-विमर्श किया।
इस वर्ष वाइब्रेण्ट गुजरात आर्थिक सम्मेलन का आदर्श-वाक्य था — सतत आर्थिक और सामाजिक विकास। प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने 10 जनवरी को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया। वर्ष 2003 में इस सम्मेलन की शुरूआत की गई थी। तभी से वाइब्रेण्ट गुजरात नामक इस सम्मेलन को दवोस के विश्व आर्थिक मंच की तर्ज पर वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए एक व्यापक मंच के रूप में देखा जाता रहा है।
भिलाई इस्पात कारख़ाना : भारत-रूस सहयोग का जीवन्त प्रतीक
रूस ने इस सम्मेलन के दौरान भारत में निवेश करने की अपनी विशाल क्षमता के साथ-साथ अपनी प्रभावशाली औद्योगिक उपलब्धियों का भी प्रदर्शन किया। रूस के उप-प्रधानमन्त्री और भारत-रूस सहयोग के मुख्य प्रभार दिमित्री रगोज़िन ने वाइब्रेण्ट गुजरात आर्थिक सम्मेलन में भाग लेने वाले रूस के 60-सदस्यीय सरकारी और व्यावसायिक प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व किया। रूसी प्रतिनिधिमण्डल में ततारस्तान और अस्त्राख़न प्रदेशों के उच्चाधिकारी भी शामिल थे। उल्लेखनीय है कि ये दोनों प्रदेश गुजरात के साथ दशकों से मज़बूत सहयोग कर रहे हैं। अस्त्राख़न गुजरात का ’सहोदर प्रदेश’ है। इस नाते उसने सम्मेलन में भारत के व्यावसायिकों के लिए अपने विशेष आर्थिक क्षेत्र ’कमल’ (लोटस) में व्यापार के सुअवसर मुहैया कराने की पेशकश की।
वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन में रूस की एक दर्ज़न से अधिक कम्पनियों और संगठनों ने रूस का प्रतिनिधित्व किया, जिनमें आपदा राहत मन्त्रालय, सिबूर, नोवातेक, रोसनेफ़्त, रोसएटम, श्वाबे, रोसकोसमोस, विर्ताल्योति रस्सी (रूसी हेलीकाप्टर) जैसी कम्पनियाँ शामिल थीं। यह 2003 में हुए प्रथम वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन के बाद रूस की व्यावसायिक कम्पनियों और संगठनों की सबसे बड़ी शिरकत थी। सम्मेलन में रूसी कम्पनियों की इतने बड़े स्तर पर शिरकत इस बात की भी प्रतीक थी कि मास्को वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन को, खास तौर से, रूसी प्रदेशो और भारतीय राज्यों के बीच व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को बहुत महत्व देता है।
वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन के उद्घाटन से एक दिन पहले दिमित्री रगोज़िन ने प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी से मुलाक़ात की। इस मुलाक़ात के दौरान उन्होंने दो देशों के बीच ’विशेष रणनीतिक सहयोग’ के पारस्परिक हित में द्विपक्षीय व्यापारिक और आर्थिक सहयोग के विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। यह मोदी-रगोज़िन मुलाक़ात इस सम्मेलन के तहत किसी भी प्रतिनिधि-मण्डल के सदस्यों से पहली मुलाक़ात थी। यह इस अर्थ में भी महत्वपूर्ण रही कि दोनों देशों के नेता विगत अक्तूबर में गोवा में हुई मोदी-पूतिन की सालाना मुलाक़ात के बाद इतने उच्च स्तर पर पहली बार मिल रहे थे। अब इस वर्ष नरेन्द्र मोदी व्लदीमिर पूतिन के साथ सालाना शिखर-सम्मेलन के लिए रूस की यात्रा पर आएँगे।
मोदी और रगोज़िन ने अपनी मुलाक़ात के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग की कई महत्वपूर्ण दिशाओं पर बातचीत की। दोनों पक्षों ने, विशेष रूप से, परमाणविक ऊर्जा और वदिनार तेलशोधन कारख़ाने में रोसनेफ़्त के निवेश सहित हाइड्रोकार्बन क्षेत्रों, ऑटोमोबाइल क्षेत्र एवं अस्त्राख़न और गुजरात के बीच सहयोग में लगातार हो रही प्रगति पर सन्तोष व्यक्त किया।
रूस और गुजरात के बीच व्यावसायिक सहयोग बढ़ेगा
भारत के विभिन्न राज्यों में, विशेष रूप से गुजरात में, रूस के बढ़ते निवेशों का स्वागत करते हुए मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि दोनों देशों को हीरे की कटाई-सफ़ाई, दुग्ध-पदार्थों और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाना चाहिए।
बैठक में रूस के उपप्रधानमन्त्री दिमित्री रगोज़िन ने कहा — गोवा में द्विपक्षीय भारत-रूस शिखर-सम्मेलन और ब्रिक्स शिखर-सम्मेलन बहुत सफल रहे और रूसी नेतृत्व भारत के साथ रणनीतिक सहयोग को आगे भी मज़बूत बनाने के लिए पूर्ण रूप से वचनबद्ध है।
9 जनवरी को मोदी ने वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन के तहत आयोजित व्यापार प्रदर्शनी का दौरा किया, जहाँ वे सबसे पहले रूसी मण्डप में गए। रगोज़िन ने प्रधानमन्त्री को रूसी विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई ’सुरक्षित नगर’ नामक हार्डवेयर और साफ़्टवेयर कम्प्यूटर प्रणाली दिखाई। यह प्रणाली भारत की ’स्मार्ट सिटी’ परियोजना के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो सकती है और ’स्मार्ट सिटी’ के निवासियों की सुरक्षा को सुनिश्चित बना सकती है। भारत इस प्रणाली का इस्तेमाल अपनी ’स्मार्ट सिटी’ परियोजना में कर सकता है।
व्यापार प्रदर्शनी में रूसी मण्डप के महत्व का उल्लेख करते हुए ’प्रायोरिटी सेण्टर’ के प्रबन्ध निदेशक मिख़ाइल ममोनफ़ ने कहा कि गुजरात वास्तव में ’वाइब्रेण्ट’ यानी ऊर्जावान है और रूस को उम्मीद है कि वह भारत में हाईटेक मशीनरी का उत्पादन करेगा। उन्होंने कहा कि रूस गुजरात में तीन उद्योगों की ओर विशेष ध्यान दे रहा है — हाईटेक मशीनरी, ऊर्जा उद्योग और हेलीकाप्टर उत्पादन कारख़ानों का निर्माण। मिख़ाइल ममोनफ़ ने कहा कि रूस कृषि उत्पादों, उर्वरकों और पेट्रो-रसायन उत्पादों के क्षेत्र में भी भागीदारी करने को तैयार है।
2016 में रूस-भारत सम्बन्ध : एक समीक्षा
वाइब्रेण्ट गुजरात सम्मेलन में रूसी कम्पनियों की बड़े पैमाने पर शिरकत का ज़िक्र करते हुए भारत-स्थित रूसी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के प्रमुख यरास्लाव तरास्युक ने कहा — रूसी कम्पनियाँ भारत के साथ सहयोग करने में बहुत ज़्यादा दिलचस्पी ले रही हैं। इस सम्मेलन में रूसी प्रतिनिधिमण्डल इतनी सक्रियता से और इतने व्यापक पैमाने पर हिस्सा ले रहा है कि इतने बड़े पैमाने पर रूस की भारत में दिलचस्पी विरल ही दिखाई देती है।
10 जनवरी को वाइब्रेण्ट गुजरात आर्थिक सम्मेलन में बोलते हुए रूस के उपप्रधानमन्त्री दिमित्री रगोज़िन ने कहा कि गुजरात रूसी कम्पनियों के लिए भारत का बेहद आकर्षक राज्य है और रोसनेफ़्त व कमाज़ जैसी रूसी कम्पनियों ने वहाँ पहले से ही अपने प्रतिनिधि कार्यालय खोल रखे हैं। रगोज़िन ने कहा — हम गुजरात के साथ दुग्ध-पदार्थों का व्यापार और हीरा प्रसंस्करण का काम, शुरू करना चाहते हैं। इन दिशाओं में गुजरात सबसे आगे है।
11 जनवरी को गाँधीनगर में वाइब्रेण्ट गुजरात आर्थिक सम्मेलन के दौरान रूस-भारत व्यावसायिक मंच की बैठक में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि भारत और यूरेशियाई आर्थिक संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौता करने का काम तेज़ी से पूरा किया जाना चाहिए । भारत-स्थित रूसी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय के प्रमुख यरास्लाव तरास्युक ने कहा — रूस और भारत ने 2025 तक अपने आपसी व्यापार को 30 अरब डालर तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया है और मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर हो जाने से इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। रूस और भारत के बीच व्यापार 2015 में 7.83 अरब डालर और 2016 में 6 अरब डालर रहा है। हाल ही में मस्क्वा में भारत के राजदूत पंकज सरन ने कहा कि भारत मुक्त व्यापार समझौता करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए तैयार है और यही अपेक्षा हमें यूरेशियाई आर्थिक संघ से भी है।
यरास्लाव तरास्युक ने रूस-भारत व्यापार में आपसी भुगतान की प्रक्रिया में स्वदेशी मुद्राओं को अपनाने यानी रूबल और रुपए में व्यापार करने की भी माँग की। उनके अनुसार, रूबल-रुपए में भुगतान की व्यवस्था न होने के कारण दो देशों के बीच व्यावसायिक सहयोग के विकास में बाधाएँ आ रही हैं। इस सिलसिले में उन्होंने कहा कि भारतीय कारोबारियों को रूस के ’स्बेरबांक’ और ’वीटीबी’ बैंक (विदेश व्यापार बैंक) द्वारा दी जा रही सुविधाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि भारत रूबल-रुपए में आपसी व्यापार भुगतान की सम्भावना पर सक्रियता से विचार कर रहा है। दोनों देशों ने इस उद्देश्य से एक सँयुक्त कामकाजी समूह का गठन भी किया है।
वाइब्रेण्ट गुजरात आर्थिक सम्मेलन के दौरान आयोजित रूस-भारत व्यावसायिक मंच ने उत्तर-दक्षिण अन्तरराष्ट्रीय परिवहन गलियारे यानी रूस और भारत के बीच शुरू हुए रेलमार्ग को चालू करने के लिए आवश्यक सभी औपचारिकताओं को निकटतम भविष्य में पूरा कर लेने पर भी ज़ोर दिया, ताकि भारत-रूस व्यापार में तेज़ी से वृद्धि की जा सके।
दिमित्री रगोज़िन ने पत्रकारों से कहा कि प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के वक्तव्य की रोशनी में रूस गुजरात के साथ व्यापक पैमाने पर सहयोग करने को इच्छुक है। रूस का मानना है कि तेल-शोधन, आटोमोबाइल विनिर्माण, हीरों की कटाई-सफ़ाई, रक्षा, कृषि और दुग्ध-उत्पादों की दिशाओं में गुजरात के साथ सहयोग के विकास की बड़ी सम्भावनाएँ हैं।
भारत-रूस रेलमार्ग के विकास में भारत को भी सक्रिय होने की ज़रूरत