अब रूस में भी दिखाई देने लगे साइबोर्ग मानव
जर्मन कम्पनी डिजीवेल के प्रबन्ध निदेशक और प्रसिद्ध जैवहैकर डॉक्टर पैट्रिक क्रेमर ने 2016 में रूस की यात्रा की थी। अपनी उस एक ही यात्रा में उन्होंने क़रीब पन्द्रह रूसी नागरिकों के शरीर में चिपों का प्रत्यारोपण कर दिया। उन्होंने बताया कि सारी दुनिया की तरह रूस में भी शरीर के भीतर चिपों का प्रत्यारोपण कराना लोकप्रिय होता जा रहा है।
डॉक्टर क्रेमर ने कहा — जिज्ञासा की वजह से ही लोग अपने शरीर में चिप लगवा रहे हैं। ऐसे भी लोग हैं, जो इन चिपों की सहायता से कई शानदार काम करके दिखा रहे हैं। मेरे एक दोस्त ने तो अपने हाथ में ग्यारह चिप लगवा रखे हैं। एक तरह से यह उसका शौक बन गया है। लेकिन मेरे लिए शरीर के भीतर किसी चिप को लगवाने का मतलब है कि मैं सामाजिक और संचार के स्तर पर कोई बड़ा काम कर रहा हूँ।
डॉक्टर पैट्रिक क्रेमर। स्रोत : patrick-kramer.de
कौन हैं ये पहले साइबोर्ग मानव?
चिप विक्रेताओं द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर कहा जा सकता है कि आज दुनिया में 30 हज़ार से 50 हज़ार लोग ऐसे हैं, जिनके शरीर में कोई न कोई चिप लगा हुआ है। रूसी लोगों ने हाल ही में शरीर में चिप लगवाने शुरू किए हैं। 2012 में सबसे पहले यह काम मस्क्वा (मास्को) के एक सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर सिर्गेय सरोकिन ने किया था। उन्होंने बताया — इस चिप का इस्तेमाल करके मुझे ऐसा लगता है, जैसे मैं कोई जादू कर रहा हूँ। 99 प्रतिशत लोग मेरा यह जादू देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
सन 2015 में एक इंजीनियर व्लाद ज़ायत्सिफ़ ने मैट्रो टिकट का भुगतान करने और दफ़्तर में घुसने के लिए गेटपास का इस्तेमाल न करने के उद्देश्य से अपने हाथ में खाल के नीचे ’सम्पर्कहीन निकट-सम्पर्क चिप’ लगवाया था। दस सेण्टीमीटर की दूरी से ही कम्प्यूटरीकृत मशीन इस चिप को पहचान लेती है और व्यक्ति को अन्दर जाने के लिए राह दे देती है।
रूस में एरिक्सन कम्पनी के प्रतिनिधि स्तनिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ ने भी ऐसा ही किया। अपने इस चिप की सहायता से उन्होंने जीक्यू पत्रिका के अपने ब्लॉग का संचालन करना भी शुरू कर दिया। कस्पेर्स्की लैब कम्पनी के कर्मचारी येव्गेनी चिरिश्न्येफ़ तो दो साल तक सिर्फ़ यह जानने के लिए अपने शरीर में चिप लगाकर घूमते रहे कि इण्टरनेट का इस्तेमाल करने वालों के लिए कौन-कौन से नए खतरे सामने आ सकते हैं।
चिप का प्रत्यारोपण कैसे कराया जाए?
अधिक रूसी लोग चीन या अमरीका में बने उस चिप को अपने शरीर में प्रत्यारोपित करवाते हैं, जिसका आकार चावल के दाने के बराबर होता है। यह चिप और इसको शरीर में फ़िट करने का उपकरण क़रीब 6 हज़ार 800 रुपए का होता है। इस चिप को इण्टरनेट शॉप से भी ख़रीदा जा सकता है और उसके बाद नाक और कान में छेद करने वाला कोई भी विशेषज्ञ उसे आपके शरीर में फ़िट कर सकता है। इसके बाद आप दूर से ही स्वचालित दरवाज़े खोल और बन्द कर सकेंगे, अपने स्मार्टफ़ोन को ब्लोक कर सकेंगे या उसका ब्लोक खोल सकेंगे या किसी वेबसाइट पर जाकर सिर्फ़ हाथ से छूकर ही उसकी फ़ाइलों को बदल सकेंगे।
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इन चिपों का उत्पादन करने वाली कम्पनियाँ और इनका इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ताओं का यह कहना है कि ये चिप पूरी तरह से निरापद और सुरक्षित हैं क्योंकि इनका उत्पादन ऐसे काँच से किया गया है, जो शरीर की जैव प्रक्रियाओं पर कोई नकारात्मक असर नहीं डालता है। आम तौर पर ये चिप हाथ में अँगूठे और तर्जनी के बीच में किसी जगह पर लगा दिया जाता है। इस जगह पर कोई हड्डी नहीं होती और कोई काम करते हुए हाथ की इस जगह पर ज़रा भी ज़ोर नहीं पड़ता है। इस जगह पर किसी प्रकार की कोई चोट लगने का खतरा भी कम से कम होता है।
डॉक्टर पैट्रिक क्रेमर ने कहा — ऐसे भी लोग हैं, जिन्होंने अपनी बाँह पर या अपनी गर्दन पर यह चिप लगवाया है। आप शरीर में कहीं पर भी चिप लगवा सकते हैं, लेकिन 99 प्रतिशत लोग इसे अपने हाथ पर ही लगवाते हैं क्योंकि उसका इस्तेमाल करना सुविधाजनक होता है। एक 14 वर्षीय बच्ची ने मुझसे कहा कि मैं उसके पैर में यह चिप लगा दूँ। उस लड़की के हाथ ही नहीं हैं और पैर में चिप लगा होने से वह आसानी से स्वचालित दरवाज़े खोल सकेगी। मेरे एक मित्र दृष्टिहीन हैं। उनके लिए चिप किसी वरदान से कम नहीं है।
उँगलियों के पोरों में क्रेडिट कार्ड
आज बाज़ार में जो जैवचुम्बकीय चिप उपलब्ध हैं, उन्हें उँगलियों के पोरों में, एण्टेना के तरह सिर में या भूकम्पमापक संवेदक की तरह छाती में लगवाया जा सकता है। ये चिप एण्ड्रायड सिस्टम के साथ भी काम करते हैं, लेकिन इनसे आईफ़ोन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। एपल कम्पनी अपने आईफ़ोनों के लिए ’सम्पर्कहीन निकट-सम्पर्क चिप’ की तरह की ही एक दूसरी तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
शरीर में लगाए जाने वाले इन चिपों की मेमोरी बहुत कम होती है। आम तौर पर ये चिप सिर्फ़ 512 किलोबाइट्स के ही होते हैं। क्रेडिट कार्ड के रूप में इन चिपों का इस्तेमाल करने के लिए एक विशेष तरह के एण्टेना की ज़रूरत पड़ती है, जो वीजा या मास्टरकार्ड जैसी क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कम्पनियाँ के प्रमाणीकरण के बाद ही काम करता है। इस एण्टेना के कारण चिप का आकार बहुत बढ़ जाता है और उसे शरीर में लगवाना मुश्किल होता है।
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रूस में रहने वाले जिन लोगों ने चिप लगवाए हैं, उन्हें जगह-जगह, बार-बार रूस की यथार्थ स्थिति से भी मुठभेड़ करनी पड़ती है। स्तनिस्लाफ़ कुप्रियानफ़ ने कहा — किसी दफ़्तर के बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी को या सुरक्षा विभाग को यह समझाने में हमेशा बड़ी दिक़्क़त होती है कि वे मुझे ऐसा आभासी पास (पारपत्र) बना दें, जो मेरे चिप से जुड़ा हो। जब रूस के होटलों में मैं यह कहता हूँ कि मेरे हाथ में चिप लगा हुआ है और मेरे कमरे की इलैक्ट्रोनिक चाभी को आप इस चिप से जोड़ दीजिए तो वे मुझे इस तरह से देखने लगते हैं, मानो उनका सामना किसी पाग़ल आदमी से हो गया है।