भारत में रिलीज हो रही है दूसरी रूसी फ़िल्म
इस फ़िल्म के प्रोड्यूसर ने रूस-भारत संवाद को बताया — 24 फ़रवरी से हमारी यह फ़िल्म एक साथ 500 फ़िल्म हॉलों में दिखाई जाने लगेगी। भारत के दर्शक हिन्दी, अँग्रेज़ी, तमिल और तेलुगु में से अपनी मनपसन्द किसी भी भाषा में यह फ़िल्म देख सकते हैं।
इस फ़िल्म का निर्देशन किया है सारिक आन्द्रेअस्यान ने। फ़िल्म में मुख्य भूमिकाएँ अन्तोन पम्पूशनी, संजार मादी, सेबस्त्यान सीसक और अलीना लानिना ने निभाई हैं।
भालू और सुन्दरी
फ़िल्म की कहानी इस प्रकार है। शीत युद्ध के ज़माने में सोवियत संघ के एक गुप्त वैज्ञानिक संगठन ने ऐसे महानायकों (सुपरहीरों) का एक दस्ता तैयार किया है, जो सोवियत संघ के अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि हैं। लेकिन सोवियत शासन के पतन के बाद ये सुपरहीरो बेकार हो गए। किसी को भी उनकी कोई ज़रूरत नहीं रही। तब वे आम आदमी का रूप धरकर आम जनता के बीच ही रहने लगे। लेकिन जब नए रूस के सिर पर फिर से खतरे की तलवार लटकने लगी तो ये सुपरहीरो फिर से एकजुट हो गए और उन्होंने दुष्ट और नीच ताक़तों को चुनौती दी।
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फ़िल्म के निर्देशक सारिक आन्द्रेअस्यान ने कहा — अभी तक इस तरह की फ़िल्में सिर्फ़ हॉलीवुड में ही बनती थीं। लेकिन हमने हॉलीवुड की नकल नहीं की है। हमने अपने रूसी मिथक उठाए हैं और अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परम्पराओं का इस्तेमाल किया है। कहना चाहिए कि हमने करोड़ों लोगों के सोवियत अतीत को फिर से याद किया है, इसलिए हमारी फ़िल्म में एक नहीं, बल्कि कई सुपरहीरो हैं और इनमें से हर हीरो अपने राज्य, अपने देश का प्रतिनिधि है।
उन्होंने आगे कहा — जैसाकि इस फ़िल्म की मांग है, हमारा हर सुपरहीरो अनूठा है और उसमें कोई न कोई अनूठी ताकत है। जैसे रूस का प्रतिनिधित्व करने वाला सुपरहीरो अरसेनी कभी भी रूप बदलकर अरसूस भालू बन सकता है, जो हमारे देश में सबसे ताक़तवर जानवर माना जाता है। अरमेनिया का प्रतिनिधित्व करने वाला सुपरहीरो लेर चूँकि पहाड़ी पृष्ठभूमि से आया है, इसलिए वह पत्थरों से बातचीत कर सकता है और उनको संचालित कर सकता है। खान मध्य एशिया का प्रतिनिधि है और वह धारदार हथियारों के इस्तेमाल में पारंगत है और क्सेनिया नामक लड़की अद्वितीय सुन्दरी है और स्लाव जातियों की प्रतिनिधि है।
सारिक आन्द्रेअस्यान ने आगे कहा — हम चाहते हैं कि यह फ़िल्म लोगों को याद रह जाए और इसका असर लम्बे समय तक बना रहे ताकि जब किसी बच्चे से यह सवाल पूछा जाए कि तुम्हें इन सुपरहीरों में से कौनसा हीरो ज़्यादा पसन्द है तो बच्चा सुपरमैन या बैटमैन को याद करने की जगह अरसूस भालू को याद करे।
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रक्षक (या गार्डियन्स) — इस साल के शुरू से भारत में रिलीज होने वाली दूसरी रूसी फ़िल्म है।
विगत जनवरी में भारत के 250 सिनेमाहालों में ’तबाही’ विषय पर बनी रूसी फ़िल्म 'एकिपाझ' यानी ’चालक दल’ रिलीज हुई थी, जिसमें एक विमान का पायलट-दल भूकम्प के बाद एक ऐसे द्वीप पर लोगों की मदद करता है, जिसपर ज्वालामुखी बने हुए हैं।
यह फ़िल्म भी हिन्दी, अँग्रेज़ी, तमिल और तेलुगु में अनुवाद करके रिलीज की गई थी और पिछले 25 साल में ऐसी पहली रूसी फ़िल्म बन गई, जिसका भारत के सिनेमाघरों में प्रदर्शन किया गया।
आजकल इस बारे में बातचीत चल रही है कि बॉलीवुड में इस फ़िल्म का रिमेक तैयार किया जाए और उसे भी रूसी फ़िल्म ’चालक-दल’ के रूप में ही भारत में दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया जाए।
सन 2016 में मुम्बई में रूसी फ़िल्मों का दूसरा महोत्सव भी हुआ था। उम्मीद है कि अब हर साल भारत में रूसी फ़िल्मों का महोत्सव आयोजित किया जाएगा।
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