सीरिया की जनता को ही सीरिया का भाग्य तय करने का अधिकार
16 व 17 फ़रवरी को कज़ाख़स्तान की राजधानी अस्ताना में रूस, तुर्की और ईरान की मध्यस्थता से सीरियाई शान्ति-वार्ता का दूसरा दौर हुआ, जिसमें सीरिया की सरकार और सीरियाई विद्रोहियों के प्रतिनिधिमण्डलों ने भाग लिया। वार्ता के दौरान रूस, तुर्की और ईरान के प्रतिनिधियों के एक ऐसे सँयुक्त दल के गठन पर सहमति हुई, जो विगत 30 दिसम्बर 2016 को शुरू हुए युद्धविराम के पालन पर नज़र रखेगा।
अन्तरसंसदीय बातचीत
16 फ़रवरी को यानी जिस दिन सीरियाई संकट के समाधान के सवाल पर वार्ता का दूसरा दौर पूरा हुआ, रूस की संसद के ऊपरी सदन संघीय परिषद ने मस्क्वा और दमिश्क के बीच विडियो कान्फ़्रेंस करके सीरियाई समस्या पर बातचीत करने का एक नया तरीका ढूँढ़ निकाला। इस कान्फ़्रेंस में रूस और सीरियाई सांसदों ने हिस्सा लिया। अस्ताना में होने वाली वार्ता में भाग लेने वाले रूसी और सीरियाई प्रतिनिधिमण्डलों के सदस्यों ने भी इस कान्फ़्रेंस में हिस्सेदारी की।
रूस सीरिया में क्यों लड़ रहा है?
रूसी संसद की अन्तरराष्ट्रीय मामलों सम्बन्धी समिति के अध्यक्ष कंस्तान्तिन कसच्योफ़ ने कान्फ़्रेंस की शुरूआत करते हुए सीरियाई सांसदों से समस्या पर खुलकर बातचीत करने की अपील की और सारी दुनिया के सामने सीरियाई सरकार के नज़रिए को व्यापक रूप से पेश करने का अनुरोध किया। इसके अलावा कसच्योफ़ ने सीरियाई सांसदों के सामने यह प्रस्ताव भी रखा कि आगामी अक्तूबर में साँक्त पितेरबुर्ग (सेण्ट पीटर्सबर्ग) में होने वाले अन्तरसंसदीय संघ के 137 वें अधिवेशन में रूस और सीरिया को सँयुक्त रूप से एक बयान जारी करना चाहिए।
अन्तरिम परिणाम
विडियो कान्फ़्रेंस में अपनी बात रखते हुए अस्ताना में उपस्थित रूसी सैन्य मुख्यालय के मुख्य उपसंचालक स्तनिस्लाफ़ गज़ीमगमेदफ़ ने सीरिया की परिस्थिति पर अपनी टिप्पणी करते हुए कहा कि युद्धविराम पर पूरी तरह से अमल किया जा रहा है। 15 फ़रवरी तक सीरिया के 1249 शहर, बस्तियाँ, क़स्बे और गाँव तथा 64 सीरियाई विद्रोही गुट युद्धविराम में शामिल हो चुके हैं।
जबकि दमिश्क के एक उपनगर पूर्वी गूता में और डेरा व होम्स नगरों में अभी भी तनाव बना हुआ है। इन सभी जगहों पर सशस्त्र मुठभेड़ें हो रही हैं। गज़ीमगमेदफ़ ने बताया कि ’जेभट अन-नुसरा’ नामक आतंकवादी गिरोह के सदस्य इस तनाव के लिए ज़िम्मेदार हैं। ये आतंकवादी सीरियाई विद्रोहियों के बीच शामिल होकर उकसावे भरी कार्रवाइयाँ कर रहे हैं।
सीरियाई जनपरिषद की सदस्य, सीरियाई सांसद अशफ़ाक अब्बास ने बताया की सीरिया की मानवीय स्थिति बहुत भयानक है। उन्होंने कहा कि सीरिया को भेजी जाने वाली मानवीय सहायता का राजनीतिकरण किया जा रहा है। कुछ देश यह कह रहे हैं कि मानवीय सहायता सिर्फ़ उन्हीं सीरियाई इलाकों तक पहुँच रही है, जिनपर सीरिया की सरकार का नियन्त्रण है। हालाँकि स्थिति हर जगह ही बेहद ख़राब है, चाहे इलाके आतंकवादियों के नियन्त्रण में हों या सरकारी सेना के नियन्त्रण में।
उत्तरी कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण से रूस क्यों चिन्तित?
सीरिया की सरकार के प्रतिनिधियों ने बड़ी मानवीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए रूस की सरकार के प्रति आभार प्रकट किया। रूसी संसद की अन्तरराष्ट्रीय मामलों सम्बन्धी समिति के उपाध्यक्ष ज़ियाद सबसबी ने बताया कि सिर्फ़ 15 फ़रवरी के दिन ही सीरिया को मानवीय राहत सामग्री के रूप में छह टन सामान भेजा गया है। सबसबी ने कहा — देखा जाए तो रूसी सेना के अफ़सर मानवीय संगठनों के कमर्चारियों की भूमिका भी निभा रहे हैं।
किसे आतंकवादी माना जाए?
रूस और सीरिया के सांसदों ने कहा कि कुल मिलाकर रूस और सीरिया की सरकारों का नज़रिया एक-दूसरे के नज़रिए से काफ़ी मिलता-जुलता है। ’अरब समाजवादी संघ’ नामक सीरियाई राजनीतिक दल के अध्यक्ष खालिद अब्दुल ने कहा — रूस इसलिए सीरिया पहुँचा है ताकि सीरिया को एक देश के रूप में सुरक्षित बनाए रखा जाए। उसी समय इस विडियो कान्फ़्रेंस के दौरान यह बात भी सामने आई कि कुछ सवालों पर रूस के मुक़ाबले सीरिया का रवैया अधिक सख़्त और कठोर है।
जैसे सीरिया की परिस्थिति और सीरिया की समस्याओं की चर्चा करते हुए सीरियाई सांसदों ने सीरियाई विद्रोहियों की कोई चर्चा ही नहीं की। उन्होंने बस, आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई का ही ज़िक्र किया। सीरिया की जनपरिषद (यानी सीरियाई संसद) के सदस्य और संसद की अन्तरराष्ट्रीय मामलों सम्बन्धी समिति के सदस्य अहमद कुज़बरी ने कहा — जो भी देश की कानूनी सरकार के ख़िलाफ़ हथियार उठाता है, वह आतंकवादी है। कुज़बरी ने फ़ारस की खाड़ी के देशों, अमरीका और यहाँ तक कि अस्ताना शान्ति वार्ता के एक मध्यस्थ देश तुर्की पर भी यह आरोप लगाया कि ये देश आतंकवादियों का समर्थन करते हैं।
रूस के सांसदों ने इस बात से अपनी सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई बेहद ज़रूरी है। लेकिन उन्होंने किसी भी देश पर कोई आरोप नहीं लगाया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि सीरियाई संकट का कोई फ़ौजी समाधान नहीं हो सकता है, सिर्फ़ राजनीतिक स्तर पर बातचीत करके ही इस समस्या को हल किया जा सकता है। सीरिया के भविष्य की चर्चा करते हुए कंस्तान्तिन कसच्योफ़ ने कहा — सीरिया की जनता को ही यह तय करना है कि सीरिया का भाग्य कैसा होगा। न तो रूस और न ही किसी दूसरे देश को यह तय करने का अधिकार है कि भावी सीरिया कैसा होगा।
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