रूस-भारत संवाद
Новости сегодня

Новости от TheMoneytizer

आलोपन तकनीक वाले भारतीय लड़ाकू विमानों के विकास में रूस की महती भूमिका

आजकल भारत और रूस आलोपन तकनीकी से लैस पाँचवी पीढ़ी के नए लड़ाकू विमान के निर्माण से जुड़े विभिन्न मुद्दों को सुलझाने में लगे हुए हैं। इस बीच कुछ विशेषज्ञों ने यह सुझाव दिया है कि भारतीय वायुसेना को भविष्य में अपने आलोपन तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों के लिए अन्य विकल्पों की खोज भी करनी चाहिए। कैसी विडम्बना है कि जहाँ एक ओर रूस में विकसित की गई तकनौलॉजी के आधार पर निर्मित भारत का स्वदेशी उन्नत मध्यम आकार का लड़ाकू विमान जल्दी ही उड़ान भरने वाला है, वहीं दूसरी ओर कुछ विशेषज्ञ इस तरह का सुझाव दे रहे हैं।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के विमान अनुसंधान एवं विकास विभाग के मुख्य नियन्त्रक के० तमिलमणि का कहना है कि भारत के पास बुनियादी प्रौद्योगिकियाँ तो हैं, लेकिन प्रणोद सदिशन यानी इंजन के संवेग परिमापन जैसे कुछ बेहद महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हम रूस का सहयोग ले रहे हैं।

मास्को क्यों दुनिया का एक सबसे सुरक्षित नगर है?

बेंगलुरु स्थित ‘वैमानिक विकास एजेन्सी’ ने मध्यम आकार के उन्नत लड़ाकू विमान के निर्माण की परियोजना को पूरा करने के लिए 2015 में रूस से सहायता मांगी थी। उल्लेखनीय है कि वैमानिक विकास एजेन्सी ने ही तेजस लड़ाकू विमान का भी निर्माण किया है। रूस और भारत की सरकारों के बीच इस सम्बन्ध में एक समझौता होने के बाद रूस की अनेक कम्पनियों ने आलोपन तकनीकी से लैस भारतीय लड़ाकू विमान की इस परियोजना में सहायता करने को लेकर अपनी उत्सुकता दिखाई। इनमें मध्यम आकार के उन्नत लड़ाकू विमान के इंजन के लिए त्रिआयामी संवेग परिमापन प्रणालियों विकसित करने के बारे में रूसी कम्पनी क्लिमफ़ और भारत के ‘गैस टरबाइन अनुसंधान प्रतिष्‍ठान’ के बीच हुआ सहयोग समझौता सबसे ज़्यादा महत्व रखता है।

रूसी तथा भारतीय प्रतिष्ठानों के बीच सहयोग की अन्य परियोजनाओं में  सक्रिय इलेक्ट्रॉनिक स्केनर वाला राडार विकसित करने को लेकर भारत के ‘इलेक्ट्रॉनिकी व राडार विकास प्रतिष्ठान’ तथा  रूस के‘तिख़ामीरफ़ उपकरण डिजाइन वैज्ञानिक संस्थान’ ने एक सँयुक्त कम्पनी बनाई है। इसके अलावा आलोपन व उससे जुड़ी प्रौद्योगिकियों को लेकर भारत की ‘वैमानिक विकास एजेन्सी’ तथा  रूसी कम्पनी सुखोई द्वारा भी एक संयुक्त उपक्रम बनाया गया है।

भारत की वैमानिक विकास एजेन्सी के सपने काफी ऊँचे हैं। वैमानिक विकास एजेन्सी मध्यम आकार के अपने भावी उन्नत लड़ाकू विमान को विश्व के सर्वोत्तम लड़ाकू विमानों में से एक बनाना चाहती है। इस विमान का राडार ऐसा होना चाहिए, जो दुश्मन को बहुत दूर से ही खोज ले और उस पर निशाना लगा सके। यह विमान  पराध्वनिक (सुपरसोनिक) गति से उड़ेगा यानी विमान की गति ध्वनि की गति से भी बहुत ज़्यादा होगी और इतनी तेज़ गति होने के बावजूद उसके द्वारा छोड़े जाने वाले हथियारों का निशाना अचूक होगा। इस लड़ाकू विमान में उच्चस्तरीय आक्रमण क्षमता होगी, आलोपन तकनीक लगी होगी और यह हर तरह के मिसाइलों से पूर्व चेतावनी देने वाली सुरक्षा प्रणाली से भी लैस होगा। 

रूसी लड़ाकू विमानों की एक प्रमुख विशेषता यह है कि वे पैंतरेबाजी की अत्यधिक क्षमता रखते हैं। पुगाच्योफ़ कोबरा विमान इसी श्रेणी में आता है। उल्लेखनीय है कि अमरीका के आलोपन तकनीकी से लैस एफ़-35 जेट विमान भी काफ़ी पैंतरेबाजी नहीं कर पाता है, जबकि उसे विकसित करने में 10 खरब अमरीकी डालर की पूँजी स्वाहा हो चुकी है। यह इस बात का संकेत है कि भारत की ’वैमानिक विकास एजेन्सी’ वास्तव में एक विश्वस्तरीय लड़ाकू विमान का निर्माण करने की कोशिश कर रही है।

रूस और भारत के बीच सैन्य-तकनीकी सहयोग के विकास की सम्भावनाएँ

के० तमिलमणि ने बताया — उम्मीद है कि 2019 में इस नए लड़ाकू विमान के चार प्रारम्भिक प्रायोगिक मॉडल बनाकर तैयार कर लिए जाएँगे। अमरीका, रूस और दक्षिण कोरिया में आलोपन तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों के विकास में सामने आ रही समस्याओं को देखते हुए यह समय-सीमा कुछ अधिक ही आशावादी लग सकती है। किन्तु  एकदम शून्य से इस काम की शुरूआत करने वाले भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान में हल्के युद्धक विमान ‘तेजस’ के सफल निर्माण के बाद अब यह विश्वास पैदा हो गया है कि वह एक समग्र हथियार प्रणाली विकसित कर सकता है।

विभिन्न लड़ाकू विमानों की अलग-अलग भूमिकाएँ

सुखोई कम्पनी अपना पाँचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान इस तरह से बना रही है कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में  उसका विमान ही दुनिया का सबसे बेहतर लड़ाकू विमान होगा। यह लड़ाकू विमान ज़मीनी हमलों के दौरान और टोही अभियानों में भी सहायता करेगा। भारत में यह माना जा रहा है कि यह भारी-भरकम विमान भारतीय वायुसेना  में वही भूमिका निभाएगा, जो काम आजकल एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान कर रहा है।

दूसरी तरफ़, मध्यम आकार का उन्नत लड़ाकू विमान भी बनाया जा रहा है, जो  मिराज-2000, जगुआर और मिग-27 जैसे ज़मीनी आक्रमण करने वाले काफ़ी छोटे जेट विमानों की जगह लेगा। भारतीय वायुसेना को तरह-तरह के युद्ध-अभियानों के लिए बड़े, मध्यम और छोटे यानी हर तरह के लड़ाकू जेट विमानों की हमेशा ज़रूरत पड़ेगी। इसलिए मध्यम आकार के उन्नत लड़ाकू विमानों की जगह पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों  का इस्तेमाल नहीं करना होगा।

पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों का महत्व

आलोपन तकनीक से लैस लड़ाकू विमानों के विकास-कार्यक्रम में भारत ने अपना काम शून्य से आरम्भ किया है। इसलिए उसे अभी बहुत कुछ सीखना है। इस तरह पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के निर्माण के दौरान प्राप्त ज्ञान भारतीय वैज्ञानिकों के लिए पाँचवीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान  को विकसित करने में सहायक सिद्ध होगा।

भारत को हथियारों के प्रमुख सप्लायर रूस के बारे में सीआईए का नज़रिया

इस परियोजना में भारतीय वैज्ञानिकों को निःसन्देह कोई व्यावहारिक अनुभव नहीं मिल पाया है क्योंकि पाँचवी पीढ़ी का लड़ाकू विमान भारतीय विशेषज्ञों के ज्ञान और जानकारियों के स्तर से काफ़ी उन्नत है। इसलिए इस विमान को विकसित करने के काम में भारत कोई बड़ी हिस्सेदारी नहीं कर पाया। सच्चाई तो यह है कि हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड को शुरू में यह उम्मीद थी कि सुखोई कम्पनी इस विमान के विकास के काम में उसे भी शामिल करेगी, लेकिन काम इतना जटिल और कठिन था कि विशेषज्ञता के अभाव में उसे मिले हुए काम का काफ़ी बड़ा हिस्सा आखिरकार छोड़ देना पड़ा।

‘पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान’ की परियोजना में भारत की भूमिका भले ही संयुक्त रूप से विकास के काम में सहयोग देने के बजाय केवल अपनी ज़रूरतों के अनुरूप विमान में बदलाव करने तक ही सीमित है, लेकिन उसके बावजूद भारतीय वैज्ञानिकों को काम सीखने का एक बड़ा अवसर मिला है। हमें यह भी देखना चाहिए कि एसयू-30 फ़्लैंकर कार्यक्रम में भारत का अच्छा-खासा योगदान रहा है। इस जेट विमान का भारतीय एमकेआई संस्करण इस समय पूरी दुनिया में सबसे उन्नत फ़्लैंकर विमान है। यहाँ तक कि रूसी वायुसेना भी इसी विमान को खरीदने जा रही है। इसलिए अपनी ज़रूरतों के अनुरूप विमान में बदलाव करने के काम को भी कम महत्वपूर्ण नहीं मानना चाहिए।

इन दो विमान परियोजनाओं में दोनों देशों के बीच सहयोग

दिसम्बर 2011 में जब भारत और रूस ने पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के निर्माण के सौदे पर हस्ताक्षर किए थे, तो हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड की इसके काम में केवल 15 प्रतिशत हिस्सेदारी थी, जबकि वह इस परियोजना की 50 प्रतिशत लागत अदा कर रही थी। किन्तु भारत की अल्पविकसित औद्योगिक क्षमता ही इस विमान के अनुसंधान  और उसके विकास के काम में भारत की कम हिस्सेदारी होने का कारण बनी। भारत में आलोपन तकनीक से जुड़ी विशेषज्ञता का घोर अभाव था। उल्लेखनीय है कि विश्व की प्रमुख हथियार उत्पादक कम्पनियों को आलोपन तकनीक के विकास के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी है।

हालाँकि, एक साथ चल रही ‘मध्यम आकार के उन्नत लड़ाकू विमान’ तथा ‘पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान’ की परियोजनाओं में जैसे-जैसे भारतीय इंजीनियर और वैज्ञानिक अनुभवी होते जाएँगे, वैसे-वैसे इन परियोजनाओं में भारत का हिस्सा भी धीरे-धीरे बढ़ता चला जाएगा। मस्कवा स्थित वैश्विक हथियार व्यापार विश्लेषण केन्द्र के प्रमुख ईगर करतचेंका के अनुसार, रूस भारतीय विशेषज्ञों को ज्ञान व सुप्रचालन सम्बन्धी सम्पूर्ण आवश्यक सहायता निश्चित रूप से उपलब्ध कराएगा, किन्तु उन्नत लड़ाकू विमानों का डिजाइन तथा उनके विकास से जुड़े कौशल  को विकसित करने का अनुभव हासिल करने में लम्बा समय लगेगा और इसके लिए काफी मेहनत और कोशिश भी करनी होगी।

दक्षिण एशिया में रूस की वापसी

बेंगलुरु में आयोजित एयरशो और प्रदर्शनी ‘एयरो इण्डिया-2017’ में रक्षामन्त्री मनोहर परिक्कर ने कहा कि पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान से जुड़ी गम्भीर समस्याओं को सुलझाया जा रहा है। उन्होंने कहा — लड़ाकू विमान के विनिर्माण, परियोजना पूरी होने के बाद इन विमानों का किस प्रकार निर्यात किया जाएगा और इसके लिए किन अनुमोदनों की ज़रूरत होगी, इन सब बातों से जुड़ी कुछ समस्याओं का हल अभी तलाशा जा रहा है।

रक्षा मन्त्रालय ने पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के लिए एक दल का गठन किया है, जिसकी रिपोर्ट एक महीने के भीतर आने की सम्भावना है। इसके बाद इससे जुड़ी सभी बातों को अन्तिम रूप दिया जाएगा। एक तीन-सितारा अधिकारी इस दल की अध्यक्षता कर रहा है।

पिछली सदी के आठवें दशक में भारत के पास मारूत और नैट/अजीत जेट लड़ाकू विमान थे। लेकिन तब से लेकर तेजस विमान के आने तक भारत के पास देश में ही निर्मित कोई जेट लड़ाकू विमान नहीं रहा। मारूत और नैट/अजीत उत्कृष्ट लड़ाकू विमान थे। विशेषकर नैट/अजीत लड़ाकू विमान तो पाकिस्तानी वायुसेना के लिए भय का ही दूसरा नाम था। किन्तु मारूत और नैट/अजीत लड़ाकू विमानों को जल्दी ही वायुसेना से हटा दिया गया क्योंकि भारतीय वायुसेना केवल विदेशी लड़ाकू विमान ही ख़रीदना चाहती थी। इस तरह भारत में स्वदेशी लड़ाकू विमानों के निर्माण का काम बीच में ही अधूरा रह गया और उसमें निरन्तरता नहीं रह पाई। उस दौर की इस भारी भूल को अब फिर से नहीं दोहराया जाना चाहिए क्योंकि इक्कीसवीं सदी में भारत की हवाई ताकत उसकी विनिर्माण क्षमता का भी प्रतीक होगी।

उल्लेखनीय है कि लड़ाकू विमानों की जटिलता तथा क़ीमतें बढ़ती जा रही हैं और भारत के पड़ोसी देशों के पास आलोपन तकनीक से लैस विमान शीघ्र ही आने वाले हैं, इसलिए भारत के लिए लड़ाकू विमानों का सिर्फ़ आयात करना ही निश्चित रूप से कोई अच्छा विकल्प नहीं है।

जल्दी ही भारत के आकाश में उड़ेगा मिग-35 लड़ाकू विमान

Читайте на 123ru.net


Новости 24/7 DirectAdvert - доход для вашего сайта



Частные объявления в Вашем городе, в Вашем регионе и в России



Smi24.net — ежеминутные новости с ежедневным архивом. Только у нас — все главные новости дня без политической цензуры. "123 Новости" — абсолютно все точки зрения, трезвая аналитика, цивилизованные споры и обсуждения без взаимных обвинений и оскорблений. Помните, что не у всех точка зрения совпадает с Вашей. Уважайте мнение других, даже если Вы отстаиваете свой взгляд и свою позицию. Smi24.net — облегчённая версия старейшего обозревателя новостей 123ru.net. Мы не навязываем Вам своё видение, мы даём Вам срез событий дня без цензуры и без купюр. Новости, какие они есть —онлайн с поминутным архивом по всем городам и регионам России, Украины, Белоруссии и Абхазии. Smi24.net — живые новости в живом эфире! Быстрый поиск от Smi24.net — это не только возможность первым узнать, но и преимущество сообщить срочные новости мгновенно на любом языке мира и быть услышанным тут же. В любую минуту Вы можете добавить свою новость - здесь.




Новости от наших партнёров в Вашем городе

Ria.city

Глава СК РФ Бастрыкин поручил провести проверку обманувшей 15 семей владимирской стройфирмы

Впервые на принципах традиций: презентовано учебное пособие по «Обществознанию» для 10-11 классов православных гимназий

Посол Викторов: вероятность полномасштабной войны Израиля и Ливана очень высока

Кинопродюсер. Российский кинопродюсер. Кинопродюсер в Москве.

Музыкальные новости

Тайны королевской семьи: что скрывает нумерологический прогноз для Чарльза III?

Bloomberg: в США запретят программное обеспечение РФ и КНР в авто с интернетом

Тайны королевской семьи: что скрывает нумерологический прогноз для Чарльза III?

«Спартак» — «Динамо» Москва — 2:2. Видеообзор матча РПЛ

Новости России

На Люблинском пруду объявился редкий кулик – большой улит

Работы по благоустройству парка «Яуза» в Москве выполнены на 90%

Психолог Подмосковья рассказала, как побороть психические расстройства

Собянин: началась реставрация исторического здания биржи на Ильинке

Экология в России и мире

Студия Звукозаписи в Москве. Создание Песен, Музыки, Аранжировок.

АО “Желдорреммаш” реализует проекты по развитию кадрового резерва компании

Подешевело в 2 раза: назван сезон, когда туры в Египет фантастически упали в цене - ещё можно успеть

В переполненных туристами местах начался новый тип преступлений: извращенцы занялись апскиртингом

Спорт в России и мире

Теннисистка Касаткина прошла в полуфинал турнира WTA в Сеуле

Касаткина проиграла Хаддад-Майе в финале турнира WTA 500 в Сеуле

Касаткина вышла в 1/4 финала турнира WTA в Сеуле

Качмазов обыграл Дэниэла и вышел в 1/4 финала турнира ATP в Чэнду

Moscow.media

Терминал сбора данных (ТСД) промышленного класса SAOTRON RT42G

Песня под Ключ. Купить Песню под Ключ. Запись Песни под Ключ.

Bluetooth-сканер штрих-кодов SAOTRON P04 на базе CMOS-матрицы

Беспилотный тягач StarLine начал испытания без человека за рулем







Топ новостей на этот час

Rss.plus





СМИ24.net — правдивые новости, непрерывно 24/7 на русском языке с ежеминутным обновлением *