रूस ने आकाशगंगाओं की सबसे बड़ी सूची बनाई
मस्क्वा (मास्को) राजकीय विश्वविद्यालय के खगोल विशेषज्ञों ने आकाशगंगाओं का एक नया कैटलाग प्रस्तुत किया है, जिसमें उन सभी आकाशगंगाओं को शामिल किया गया है, जिनकी अभी तक खोज की जा चुकी है। ये आकाशगंगाएँ पृथ्वी से 30 अरब प्रकाश वर्ष से भी ज़्यादा दूर स्थित हैं।
इस कैटलाग में आठ लाख आकाशगंगाओं, उनके सितारों और उनकी चमक और तरंगों में दिखने वाले पराबैंगनी (अल्ट्रावायलेट) और अवरक्त (इन्फ़्रारेड) प्रकाश के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह केटलाग बनाते हुए उन्होंने बड़े डेटा तरीकों का उपयोग किया है।
इस कैटलाग को नाम दिया गया है — आकाशगंगीय आभा ऊर्जा वितरण की सन्दर्भ सूची या द रेफ़ेरेंस कैटलॉग ऑफ़ गैलेक्सी स्पैक्ट्रल एनर्जी डिस्ट्रिब्यूशन। यह कैटलाग सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। वैज्ञानिकों के अनुसार, इस कैटलाग में ऐसे ही दूसरी निर्देशिकाओं (कैटलागों) में दी गई सूचनाओं के मुक़ाबले उत्सर्जन रेखाओं के रूपों का सबसे विस्तृत और सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।
फ़िलहाल इस कैटलाग में उन्हीं आकाशगंगाओं की जानकारी दी गई है, जो ब्रह्माण्ड सम्बन्धी मानकों के अनुसार, बहुत ज़्यादा दूर नहीं हैं, और जिनकी विकिरण आवृत्ति (रेडिएशन फ़्रीक्वेंसी) हमारे ग्रह से दूर होते हुए 0.3 से अधिक नहीं है। कैटलाग में पुराने ब्रह्माण्ड के बारे में सीमित जानकारी दी गई है। लेकिन जल्दी ही खगोलविद आकाशगंगाओं के इस कैटलाग में 300-400 नई आकाशगंगाओं की सूची और जोड़ने का इरादा रखते है।
रोज़, यूजीसी 1810 और यूजीसी 1813
स्रोत : Nasa, Esa
गुलाब के आकार की परस्पर प्रभाव डालने वाली आकाशगंगाएँ जो एण्ड्रोमेडा (सर्पिल) के नक्षत्र में स्पष्ट दिखाई देती हैं, उन्हें यूजीसी 1810 आकाशगंगाएँ कहा जाता है और जब दो आकाशगंगाएँ एक दूसरे में गुँथकर गुलाब का आकार ले लेती हैं, उन्हें यूजीसी 1813 कहा जाता है। इन आकाशगंगाओं पर ऊपर से नीले हीरों का एक हार सा जड़ा दिखाई देता है। हीरों का यह हार चमकदार, गर्म और युवा सितारों के एक जगह पर एकजुट होने से बनता है।
व्हर्लपूल आकाशगंगा, एम 51
स्रोत : Martin Pugh/NASA
दूधिया चमक वाली यह सर्पिल आकाशगंगा बहुत तेज़ चमकती है और अपने उपग्रह एनजीसी 5195 के बेहद निकट स्थित होती है। ऐसा लगता है कि मुख्य आकाशगंगा एम 51 ने जैसे सारे पदार्थ को अपने पास खींच लिया। गेंद के आकार की अन्य आकाशगंगाओं को धुँधला करने वाली यह आकाशगंगा जल में उठने वाले एक भँवर की तरह लगती है।
एण्ड्रोमेडा, एम 31
स्रोत : Lorenzo Comolli/Nasa
यह विशालाकार आकाशगंगा उन आकाशगंगाओं में से एक है, जो पृथ्वी के सबसे क़रीब स्थित हैं। अन्तरिक्ष में नंगी आँखों से भी इसे देखा जा सकता है।
खगोलविदों का कहना है कि दो अरब साल के बाद यह आकाशगंगा मन्दाकिनी या क्षीरमार्ग (मिल्की वे) नामक उस आकाशगंगा से टकराएगी, जिसमें हमारी पृथ्वी स्थित है, और उसे निगल लेगी।
कार्टव्हील आकाशगंगा
स्रोत : ESA, NASA, Hubble
यह माना जाता है कि कार्टव्हील (बैलगाड़ी का पहिया) नामक इस आकाशगंगा की 20 करोड़ साल पहले एक दूसरी आकाशगंगा से आमने-सामने की टक्कर हुई थी, जिससे एक बड़ा झटका लगा था और एक लहर जैसी पैदा हो गई थी। इस टकराव के फलस्वरूप उसके मध्य भाग में बहुत से सितारे बने थे।
एम 64
स्रोत : Michael Miller, Jimmy Walker/Nasa
इस आकाशगंगा की संरचना में धूल की बड़ी-बड़ी नहरें दिखाई देती हैं, जिनके पीछे सितारें छुपे हुए हैं।
होग ऑबजेक्ट गोलाकार आकाशगंगा
स्रोत : NASA/JPL-Caltech
गोल खुले छल्लों की तरह की यह पहली ऐसी आकाशगंगा है, जिसके गठन के बारे में खगोलविदों के बीच आपसी सहमति नहीं है। एक परिकल्पना के अनुसार, जब डिस्क की तरह रूपाकार वाली एक आकाशगंगा का केन्द्र दूसरी आकाश्गंगा के बीच से गुज़र जाता है, तो इस तरह की गोल छल्लेदार आकाशगंगा का गठन होता है।
एम 88
स्रोत : NASA, ESA
यह आकाशगंगा हमारी मन्दाकिनी या क्षीरमार्ग (मिल्की वे) आकाशगंगा के साथ-साथ ही स्थित है और सर्पिलाकार है।
सोम्ब्रेरो आकाशगंगा (एम 104 या एनजीसी 4594)
स्रोत : Giovanni Paglioli/NASA
सोम्ब्रेरो अमरीका में बहुप्रचलित नमदे के टोप की चौड़ी किनारी को कहते हैं। सोम्ब्रेरो आकाशगंगा का नाम उसमें उपस्थित गहरे रंग की धूल की एक चौड़ी नहर की वजह से दिया गया है। यह नहर या धूल की चौड़ी सड़क आकाशगंगा को बीच में से दो हिस्सों में बाँट देती है।
एनजीसी 3370 आकाशगंगा
स्रोत : Nasa, Esa
1994 के अन्त में इस आकाशगंगा में स्थित एक सितारे पर बड़ा भारी विस्फोट हुआ था, जिसने कुछ समय के लिए दूसरे अरबों सितारों की रोशनी को ढक दिया था। इस विस्फोट की रोशनी हमारी पृथ्वी तक पहुँची थी।