रूसी हथियारों के अतिरिक्त कल-पुर्जों का उत्पादन भारत में किया जाएगा
रूसी हथियारों और अन्य सुरक्षा उपकरणों के लिए अतिरिक्त कल-पुर्जों का उत्पादन करने वाली रूसी कम्पनियों के अधिकारियों का एक दल जल्दी ही भारत की यात्रा करेगा। यह प्रतिनिधिमण्डल भारत में ही इन कल-पुर्जों का उत्पादन शुरू करने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए भारत जा रहा है।
17 और 18 मार्च को दिल्ली की यात्रा करने वाले इस प्रतिनिधिमण्डल का नेतृत्व रूस के व्यापार व ऊर्जा मन्त्री दिनीस मन्तूरफ़ करेंगे।
रूसी प्रतिनिधिमण्डल भारत में प्रभारी रक्षामन्त्री अरुण जेतली से मुलाक़ात करेगा। इसके अलावा प्रतिनिधिमण्डल के सदस्य विभिन्न भारतीय कम्पनियों के अधिकारियों से भी मिलेंगे।
फ़रवरी 2017 में प्रमुख रूसी रक्षा विश्लेषक कंस्तान्तिन मकियेन्का ने अपने एक लेख में लिखा था कि भारत में लागू की गई ’मेक इन इण्डिया’ की नीति ने भारत में काम करने के लिए रूसी कम्पनियों के सामने संभावनाओं के नए द्वार खोल दिए हैं।
उन्होंने लिखा था — रूस दुनिया का अकेला ऐसा देश है, जिसके पास भारत में सैन्य उपकरणों का उत्पादन करने का विशाल अनुभव है। वास्तव में देखा जाए तो 1960 में जब सोवियत संघ ने भारतीय बाज़ार में प्रवेश किया था, तभी से रूस भारत में ’मेक इन इण्डिया’ के सिद्धान्तों पर अमल करते हुए काम कर रहा है।
उनका कहना है — यहाँ तक कि दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों मिग-21 की भारत को आपूर्ति की पहली परियोजना भी भारत में ही विमानों का उत्पादन करके पूरी की गई थी। बाद में मिग-23 और मिग-27 विमानों का उत्पादन करके भारत में यह प्रक्रिया जारी रखी गई। फिर भारत में ही सुखाई-30एमकेआई जैसे विमानों का उत्पादन किया जाने लगा। रूस भारत में युद्धपोतों का निर्माण करने तथा भारतीय सेना के लिए टी-72एस और टी-90एस टैंकों का उत्पादन करने के क्षेत्र में भी सहयोग कर रहा है।
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