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रूस दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक युद्धपोत क्यों बना रहा है

’श्तोर्म’ यानी ’तूफ़ान’ नामक यह विशाल विमानवाहक युद्धपोत रूस 2025 तक बनाकर तैयार कर लेगा। रूसी सेना को हथियारबन्द करने की 2019 से 2025 तक चलने वाली अगली परियोजना में इस विमानवाहक पोत का निर्माण भी शामिल किया गया है। उसके बाद लड़ाकू और बमवर्षक विमानों से पूरी तरह लैस करके इस विशालकाय युद्धपोत को 2030 तक रूसी नौसैनिक बेड़े में शामिल कर लिया जाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस युद्धपोत को मस्क्वा (मास्को) से 1880 किलोमीटर दूर स्थित सिविरामोर्स्क नौसैनिक अड्डे पर तैनात किया जाएगा। 

सीरिया में सैन्य कार्रवाई के दौरान रूस के सामने यह साफ़ हो गया कि इस तरह के युद्धपोत की उसे बेहद ज़रूरत है। रूस ने अपना विमानवाहक युद्धपोत ’एडमिरल कुज़्नित्सोफ़’ सीरिया भेजा था, लेकिन वह 30 साल पुराना हो चुका है और आज की स्थितियों के अनुकूल नहीं रहा है।

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विमानवाहक युद्धपोत ’एडमिरल कुज़्नित्सोफ़’ के डेक पर क़रीब 30 विमान तैनात हैं, जबकि अमरीकी विमानवाहक युद्धपोतों पर आम तौर पर 90 विमान तैनात होते हैं। इसके अलावा रूसी विमानवाहक युद्धपोत से उड़ने में एक विमान को कुछ मिनट लगते हैं, जबकि अमरीकी युद्धपोतों से प्रतिमिनट तीन विमान उड़ते हैं। इसके अलावा कई और दूसरे ऐसे काम हैं, जिन्हें रूसी विमानवाहक पोत पूरा नहीं कर पाता। इसलिए रूस को नए आधुनिकतम विमानवाहक युद्धपोत की ज़रूरत है। 

विशेषज्ञों का मानना है कि आज की भूराजनीतिक स्थितियों में संभावित हमलावरों से सुरक्षा करने के लिए विश्व के महासागरों में रूस की उपस्थिति बेहद ज़रूरी है। रूसी रक्षा उद्योग के एक सूत्र ने रूस-भारत संवाद से कहा — विमानवाहक युद्धपोत एक ऐसी ताक़त है, जिसे दुनिया में कहीं भी पहुँचाकर आप दूसरों से अपनी शर्तें मनवा सकते हैं। यह ठीक है कि अमरीका के लिए हमारा एक विमानवाहक युद्धपोत कोई महत्व नहीं रखता क्योंकि उनके पास ऐसे 19 विमानवाहक पोत हैं। और हमारे पास मुश्किल से एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो ऐसे युद्धपोत होंगे। लेकिन फिर भी यह ऐसी ताक़त है, जिसका लोहा हर किसी को मानना ही पड़ता है।

’श्तोर्म’ युद्धपोत कैसा होगा

रूस की सैन्य विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन का कहना है कि नया रूसी विमानवाहक युद्धपोत भी वैसा होगा, जैसा अमरीकी विमानवाहक महायुद्धपोत ’जेराल्ड आर० फ़ोर्ड’ है।

इस अमरीकी विमानवाहक युद्धपोत की तरह ही रूसी युद्धपोत का डैक भी पूरी तरह से खाली होगा। ’एडमिरल कुज़्नित्सोफ़’ की तरह ही उस पर भी किसी तरह की तोपें और मिसाइल तैनात नहीं होंगे।

वदीम कज़्यूलिन ने बताया  — यह एक तैरता हुआ हवाई-अड्डा होगा, जिसके साथ बीसियों सहायक युद्धपोत भी होंगे। 

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नए रूसी विमानवाहक युद्धपोत की चौड़ाई 40 मीटर और उसकी लम्बाई 330 मीटर होगी। इस युद्धपोत पर चार हवाई-पट्टियाँ बनी होंगी। इन हवाई-पट्टियों पर तेज़ी से दौड़कर विमान उड़ान भरेंगे या उसपर विमान को उड़ाने वाली एक गुलेलनुमा प्रणाली भी लगी होगी, जो तेज़ी से विमान को हवाई-पट्टी पर छोड़ेगी और विमान तुरन्त आकाश में उड़ने लगेगा।

वदीम कज़्यूलिन ने कहा — चूँकि युद्धपोत के डेक पर कोई हथियार तैनात नहीं होंगे, इसलिए क़रीब दस दूसरे युद्धपोत ’श्तोर्म’ विमानवाहक युद्धपोत की रक्षा करने के लिए उसके साथ-साथ रहा करेंगे, जिनमें, पनडुब्बियाँ, विध्वंसक युद्धपोत और सुरंगवाहक युद्धपोत भी शामिल होंगे। 

नए रूसी विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ में आरआईटीएम-200 क़िस्म के दो एटमी इंजन लगे होंगे, जिनकी वजह से युद्धपोत 30 मील या 55 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ़्तार से चल सकेगा। इस युद्धपोत की जल-विस्थापन क्षमता एक लाख टन होगी और वह पानी में 11 मीटर की गहराई तक धँस जाया करेगा। रूसी विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’  पर क़रीब 4000 नौसैनिक तैनात होंगे।

लेकिन इस महत्वपूर्ण परियोजना से जुड़ी कुछ समस्याएँ अभी भी हल की जानी बाक़ी हैं।

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रूसी विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ पर मिग-29 के और टी-50 लड़ाकू विमान तैनात किए जाएँगे। मिग-29 के विमान का निर्माण किया जा चुका है और सीरिया में उसका परीक्षण भी कर लिया गया है। लेकिन नई पीढ़ी का टी-50 विमान अभी सिर्फ़ बनाया ही जा रहा है। युद्धपोत पर तैनात करने के लिए विशेष टी-50 विमान का तो अभी तक सिर्फ़ नक़्शा ही बनाया गया है। इस परियोजना को पूरा किया जाना ज़रूरी है। 

सैन्य विशेषज्ञ व्लदीमिर येव्सेइफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ को खड़ा करने के लिए बन्दरगाह पर विशेष गोदी बनानी होगी और उस गोदी की सुरक्षा तथा युद्धपोत की सुरक्षा करने के लिए ज़मीन पर, पानी में और आकाश में विशेष व्यवस्था तैयार करनी होगी। इसका मतलब यह है कि विशेष तटवर्ती सुरक्षा दस्ते और वायु सुरक्षा प्रणालियाँ बन्दरगाह पर तैनात करनी होंगी।

विशेषज्ञों का कहना है कि नए रूसी विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ के निर्माण के लिए रूस के बजट से साढ़े तीन खरब रूबल से लेकर दस खरब रूबल तक खर्च करने होंगे। युद्धपोत जितना ज़्यादा बड़ा होगा और उस पर जितने ज़्यादा उपकरण और हथियार तैनात किए जाएँगे, खर्च उतना ही ज़्यादा होगा।

व्लदीमिर येव्सेइफ़ ने कहा — युद्धपोत पर तैनात करने के लिए 90 लड़ाकू विमानों के निर्माण का खर्च भी यदि इसमें जोड़ा जाए तो विमानवाहक युद्धपोत ’श्तोर्म’ के निर्माण का खर्च बढ़कर एकदम दोगुना हो जाएगा।

’श्तोर्म’  विमानवाहक युद्धपोत का पहला मॉडल बनाने वाले डिजाइनर व्लदीमिर पिपिलयाइफ़ और कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि रूस पर लगे प्रतिबन्धों के इस दौर में शायद ही यह सम्भव होगा कि ’श्तोर्म’ का निर्माण उसी रूप में किया जा सकेगा, जिस रूप में उसकी प्रारम्भिक परियोजना बनाई गई है। ’श्तोर्म’ की प्रारम्भिक परियोजना बहुत महंगी पड़ रही है, इसलिए डिजाइनरों ने ’श्तोर्म’ का आकार घटाकर छोटा कर दिया है और उसका नया डिजाइन बनाना शुरू कर दिया है। लेकिन डिजाइनरों का कहना है कि ’श्तोर्म’ आकार में बेशक छोटा हो जाएगा, लेकिन उसकी भयानकता और ’युद्ध-शक्ति’ कम नहीं होगी।

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