पश्मीना शाल उन्नीसवीं सदी में रूस किस तरह पहुँची
अफ़नासी निकीतिन ने पन्द्रहवीं सदी में अपनी भारत यात्रा को लिपिबद्ध किया था। तभी से रूस के सम्राट भारत के साथ सीधा व्यापार करना चाहते थे। भारतीय सामान आस्त्रख़न और पुराने रेशमी मार्ग से होकर रूस पहुँचा करता था। आस्त्रख़न में तो धीरे-धीरे एक भारतीय बस्ती ही बस गई थी। उन्नीसवीं सदी के शुरू के सालों में भारत से एक अद्भुत चीज़ साँक्त पितेरबुर्ग पहुँची थी, जिसे लेकर वहाँ तहलका मच गया। यह अनोखी चीज़ थी — पश्मीना शाल।
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