अब कोबरे के ज़हर से कैंसर की पहचान होगी
मस्क्वा (मास्को) के लौह धातु और मिश्रण धातु संस्थान के आधार पर स्थापित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी और अनुसन्धान विश्वविद्यालय ’मीसिस’ के शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने भारत के तेज़पुर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के सहयोग से कोबरा सर्प के ज़हर से निकाले जाने वाले आल्फ़ा न्यूरोटोक्सिन और अर्धचालक अभिनव कणों के आधार पर एक ऐसी दवा तैयार की है, जिसका इस्तेमाल करके शरीर में कैंसर के फ़ोड़े के फैलाव का पता लगाया जा सकता है।
कैंसर की बीमारी का शुरू में ही और ठीक-ठीक पता लगाना चिकित्सकों के लिए बेहद ज़रूरी है। कैंसर के फ़ोड़े को शरीर से पूरी तरह काटकर अलग करने के लिए यह ज़रूरी है कि शल्य-चिकित्सक को यह मालूम हो कि फ़ोड़े का फैलाव शरीर में कहाँ तक हो गया है।
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’मीसिस’ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने थाइलैण्ड के कोबरा सर्प के ज़हर के आल्फ़ा न्यूरोटोक्सिन और कैडमियम सेलेनाइड के फ्लोरोसेंट क्वाण्टमअर्धचालक अभिनव कणों के विभिन्न गुणों वाले दो अणुओं से संकर योग (संयुग्म) से यह दवा बनाई है और भारत के वैज्ञानिकों ने इस दवा के जैविक गुणों का अध्ययन किया है। इस संयुग्म का इस्तेमाल कैंसर के फ़ोड़ों की सीमा का परीक्षण करने वाली चिकित्सा प्रणाली तय करने के लिए किया जा सकता है।
कैंसर के फोड़ों को देखने के लिए वैज्ञानिकों ने कोबरा के ज़हर का अनूठा इस्तेमाल करके रोग को चिह्नित करने वाला एक ’मार्कर’ बनाने का निश्चय किया। शरीर में पाए जाने वाले निकोटिनिक रिसेप्टर्स कोलीनर्जिक नामक प्रोटीन समूह आल्फ़ा न्यूरोटोक्सिन का जैविक निशाना होगा। कैंसर की कोशिकाओं से (उदाहरण के लिए फेफड़ों के कैंसर या स्तन कैंसर में) बड़ी मात्रा में यह विशिष्ट प्रोटीन समूह असामान्य रूप से विकसित होता है। जब व्यक्ति स्वस्थ होता है तो उसके शरीर में ये कोलीनर्जिक रिसेप्टर्स प्रोटीन नर्वस सिस्टम का संचालन करते हैं।
न्यूरोटोक्सिन संयुग्म नामक यह दवा रक्त संचार के साथ शरीर के कैंसर प्रभावित अंगों तक पहुँचाई जाती है और फ़्लोरोसेन्ट्सी अभिनव कणों के माध्यम से कैंसर के फोड़े से प्रभावित शरीर के पूरे हिस्से को दिखाती है। ये अभिनव कण कैंसर के फोड़े पर चमकते हैं, इसलिए नंगी आँखों से भी उनका पराबैंगनी प्रकाश देखा जा सकता है।
जैसाकि जानकारी मिली है, यह नई दवा कैंसर का निदान करने वाली सभी पुरानी दवाओं से कहीं ज़्यादा बेहतर और प्रभावशाली है। इसके अलावा इस दवा का इस्तेमाल कैंसर का इलाज करने वाली दवाओं को शरीर के कैंसर प्रभावित हिस्से तक पहुँचाने के लिए भी किया जा सकता है।
आजकल इस दवा का आविष्कार करने वाले वैज्ञानिकों का समूह दवा के पूर्व नैदानिक अध्ययन के लिए तैयारी कर रहा है।
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