पालमीरा पर फिर से ’इरा’ का कब्ज़ा — सीरियाई सेना की हार या रणनीतिक ग़लती?
सीरिया के होम्स प्रदेश के राज्यपाल तलाल बराज़ी ने ऐलान किया कि आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के आतंकवादी दस्तों ने रविवार, 11 दिसम्बर को फिर से सीरिया के ऐतिहासिक नगर पालमीरा पर कब्ज़ा कर लिया है। जब सीरिया की सरकारी सेना ने सीरिया के दूसरे सबसे बड़े महानगर हैलाब (अलेप्पो) के 93 प्रतिशत हिस्से को अपने नियन्त्रण में लिया, उसी दिन यानी पिछले बृहस्पतिवार को आतंकवादियों ने पालमीरा पर आक्रमण कर दिया।
पालमीरा पर आक्रमण होने के बाद रूसी वायुसेना के विमानों को भी हैलाब (अलेप्पो) में अपनी कार्रवाई को रोककर तुरन्त पालमीरा की तरफ़ ध्यान केन्द्रित करना पड़ा।
मोसुल और हैलाब में से किस जगह लड़ाई ठीक तरह से हो रही है?
रूस के रक्षा मन्त्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि बीती 10 से 11 दिसम्बर की रात को रूसी सुदूर विमानों की कार्रवाइयों और रूसी बमवर्षक विमानों टीयू-22एम3 द्वारा की गई बमबारी की वजह से 300 से ज़्यादा आतंकवादी मारे गए और उनके 11 टैंक बरबाद कर दिए गए।
रूसी सेना द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) के 4000 से ज़्यादा आतंकवादियों ने पालमीरा पर की गई इस हमलावर कार्रवाई में हिस्सा लिया। इन हमलावरों के पास बड़ी संख्या में टैंक, तोपें, बख़्तरबन्द गाड़ियाँ और गोला-बारूद से लदी मोटर गाड़ियाँ भी हैं।
पीठ में छुरा
27 मार्च 2016 को सीरियाई सेना ने रूसी सेना की सहायता से इस प्राचीन शहर पालमीरा को ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के आतंकवादियों से मुक्त कराया था। सीरिया में रूसी सेना के अभियान का यह एक मुख्य परिणाम था। इसके बाद रोमनों द्वारा दूसरी सदी में बनाए गए मुक्ताकाश प्रेक्षागृह (ओपनएयर थियेटर) में विश्वप्रसिद्ध रूसी संगीत निर्देशक वलेरी गेरगियेफ़ के नेतृत्व में रूस के प्रसिद्ध मरीनस्की थियेटर के संगीतकारों ने एक समारोही संगीत कंसर्ट कार्यक्रम प्रस्तुत किया था।
रूस के पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल यूरी बलुएवस्की ने समाचार समिति इण्टरफ़ाक्स से बात करते हुए कहा — पालमीरा पर फिर से आतंकवादियों का कब्ज़ा होने से रूस की प्रतिष्ठा को नुक़सान पहुँचा है। मस्क्वा के हायर स्कूल ऑफ़ इकोनोमिक्स के विशेषज्ञ अन्द्रेय सुज़दलत्सेफ़ ने कहा — यह सामरिक हार नहीं है, लेकिन यह एक रणनीतिक ग़लती है और इससे सीरिया में चल रहे पूरे गृह-युद्ध के परिणामों पर कोई ख़ास असर नहीं पड़ेगा।
राष्ट्रपति ट्रम्प से किसी चमत्कार की आशा नहीं
अन्द्रेय सुज़दलत्सेफ़ ने रूस-भारत संवाद से कहा — अब दुनिया भर में रूस का विरोध करने वाले लोग यह कहेंगे कि सीरिया में स्थिति रूस के नियन्त्रण से बाहर होती जा रही है। लेकिन इराकी नगर मोसुल में भी तो हालत लगभग ऐसी ही है। सवाल बस, यही है कि पश्चिमी राजनीतिज्ञ और हमारे रूसी राजनीतिज्ञ इस हालत में अपने-अपने पत्ते कैसे चलेंगे?
पालमीरा हाथ से कैसे निकला
रूस के पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल यूरी बलुएवस्की का कहना है कि रूसी वायुसेना के संचालकों की सतर्कता घटने की वजह से ही आतंकवादियों ने पालमीरा पर फिर से कब्ज़ा कर लिया। उन्हें ’इरा’ की इस चाल का पहले ही अन्दाज़ा हो जाना चाहिए था। हो सकता है कि सीरियाई सेना असावधान हो। पर हमारे जनरलों का ध्यान कहाँ पर था कि दुश्मन ने फिर से पलमीरा पर कब्ज़ा कर लिया?
जबकि सैन्य विशेषज्ञों का कहना है कि मानवीय आधार पर घोषित किए गए युद्धविरामों की वजह से आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ के आतंकवादियों को फिर से एकजुट होकर सक्रिय होने की सम्भावना मिल गई। हमारी सेना न सिर्फ़ आम जनता की सुरक्षा में लगी हुई है, बल्कि उसे गोलाबारी से बचाने की भी कोशिश कर रही है। जनरल यूरी बलुएवस्की ने कहा — लेकिन जब ये मानवीय युद्धविराम कई-कई हफ़्ते तक लम्बे खिंच जाते हैं तो आतंकवादियों को साँस लेने और अपनी ताक़त को फिर से एकजुट करने का मौक़ा मिल जाता है।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए समाचार पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य-समीक्षक दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — एक के बाद एक लगातार युद्धविराम होने से आतंकवादी अपने छिन्न-भिन्न हुए दस्तों को फिर से मजबूत बना लेते हैं और उन्हें हथियारों से भी लैस कर देते हैं। इसके बाद ये आतंकवादी दस्ते नए सिरे से सीरियाई सेना और रूसी सेना पर हमले करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
तीसरा विश्व युद्ध रोकेगा नया रूसी ‘सरमात’ मिसाइल
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — हैलाब (अलेप्पो) में हुए पिछले युद्धविराम के दौरान डेढ़ हज़ार से ज़्यादा आतंकवादियों ने आत्मसमर्पण किया। इनमें से ज़्यादातर लोग ’इस्लामी राज्य’ (इरा) के सदस्य हैं। लेकिन आत्मसमर्पण करने के बाद वे इराक या तुर्की वापिस नहीं लौटे, बल्कि सीरिया में ही रह गए।
पालमीरा अब कब लौटेगा
रूस के पूर्व थलसेनाध्यक्ष जनरल यूरी बलुएवस्की का अनुमान है कि रूसी और सीरियाई सेना फिर से पालमीरा पर नियन्त्रण स्थापित कर लेगी।
समाचार पत्र ’इज़्वेस्तिया’ के सैन्य-समीक्षक दिमित्री सफ़ोनफ़ का मानना है — अब पालमीरा के लिए बड़ी ख़ूनी लड़ाई होगी क्योंकि रूसी बमवर्षक विमान पालमीरा शहर के आबादी वाले इलाकों पर बमबारी नहीं करेंगे। अगर वे बमबारी करेंगे भी तो पालमीरा के उपनगरों को अपना निशाना बनाएँगे, जहाँ से ’इस्लामी राज्य’ के आतंकवादी जल्दी ही ग़ायब हो जाएँगे।
दिमित्री सफ़ोनफ़ ने कहा — अब फिर से पालमीरा शहर के भीतर ही लड़ाई होगी। पालमीरा नगर के मौहल्ले बहुत सघन रूप से बसे हुए हैं। वहाँ ज़मीन के हर टुकड़े पर कब्ज़ा करने के लिए सीरियाई सैनिकों को और आम लोगों को अपने ख़ून की भारी क़ीमत चुकानी होगी। आतंकवादी दस्ते पालमीरा की आबादी का इस्तेमाल जीवित ढाल के रूप में करेंगे।
रूसी सैन्य अकादमी के उम्मीदवार सदस्य और सैन्य पूर्वानुमान केन्द्र के निदेशक अनतोली सिगानक ने कहा कि दिसम्बर के मध्य से लेकर जनवरी के आख़िर तक पालमीरा में भारी और भयंकर युद्ध हो सकता है। उसके बाद सीरिया में मार्च के मध्य तक भारी रेतीली आँधियों का मौसम रहेगा, जिनकी वजह से पालमीरा शहर में और उसके उपनगरों में लड़ाई बहुत धीमी हो जाएगी।
अनतोली सिगानक ने कहा कि 2016 में भी इस दौर में रूसी वायुसेना की सक्रियता बहुत घट गई थी और रूसी वायुसेना ने अपने विमानों की और अन्य उपकरणों की मरम्मत और रख-रखाव का काम किया था।
भारत और रूस के बीच रेल चलनी शुरू हो गई