अब तक की रूस की सबसे महंगी और सबसे ताक़तवर पनडुब्बी
मस्क्वा (मास्को) के उत्तर में 1260 किलोमीटर दूर सिविरद्वीन्स्क नगर के इंजीनियरिंग कारख़ाने की वर्कशॉप नम्बर 53 में एक लम्बी सीटी की आवाज़ सुनाई देती है और उसके बाद धीरे-धीरे परियोजना 885 की ’कज़ान’ नामक विशाल पनडुब्बी आगे बढ़ना शुरू कर देती है। वर्कशॉप नम्बर-53 की यह इमारत यूरोप की सबसे बड़ी इमारत मानी जाती है। यह इमारत इतनी विशाल है कि इसमें एक साथ चार पनडुब्बियों का निर्माण किया जाता है।
एक मोटी तिरपाल से ढकी यह पनडुब्बी वर्कशॉप की दहलीज से निकलकर बाहर मैदान में खड़ी हो जाती है। यहाँ, खुले आकाश के नीचे यह पनडुब्बी पूरे 24 घण्टे ऐसे ही खड़ी रहेगी, ताकि रूस पर नज़र रखने वाले और रूस की टोह लेने वाले विदेशी गुप्तचर-उपग्रह उसकी तस्वीरें ले सकें और सारी दुनिया को यह पता लग जाए कि रूस की नौसेना को ’एम’ यानी माडर्न वर्ग की दूसरी आधुनिकतम बहुउद्देशीय हमलावर पनडुब्बी मिल गई है।
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लेकिन रूसी नौसैनिक अधिकारी या पनडुब्बी बनाने वाले अधिकारी इस बारे में कुछ नहीं बताते कि यह नई ’यासिन’ पनडुब्बी इसी परियोजना 885 वर्ग की पहली एटमी पनडुब्बी ’सिविरद्वीन्स्क’ से किस तरह अलग है। इस नई पनडुब्बी का डिजाइन बनाने वाले ’मलख़ीत’ डिजाइन ब्यूरो के उपप्रमुख डिजाइनर निकलाय नवस्योलफ़ ने एक बार कहा था कि ’यासिन-एम’ नामक इस नई पनडुब्बी और पुरानी ’यासिन’ पनडुब्बी में, बस, इतना ही फ़र्क है कि इसमें अधिक आधुनिक रेडियो-इलैक्ट्रोनिक हथियार तैनात हैं।
रूसी एटमी पनडुब्बियों का नया युग
परियोजना 885 की ये अधुनातन और आधुनिकतम रूसी पनडुब्बियाँ अपने हथियारों की दृष्टि से दुनिया की सबसे ताक़तवर, पूरी तरह से गुप्त और बहुत कम शोर करने वाली बेहद शान्त पनडुब्बियाँ हैं। इन पनडुब्बियों की तुलना अक्सर इसी वर्ग की अमरीकी ’सीवुल्फ़’ और ’वर्जीनिया’ नामक उन पनडुब्बियों से की जाती है, जिनका अमरीका ने निर्माण करना इसलिए बन्द कर दिया क्योंकि वित्तीय दृष्टि से वे बहुत महंगी पड़ रही थीं।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए रूसी सैन्य-विज्ञान अकादमी के प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने बताया — ’कज़ान’ पनडुब्बी अमरीकी पनडुब्बियों से सस्ती नहीं है। इस तरह की एक सामरिक क्रूजर पनडुब्बी रूस को क़रीब सवा दो खरब रुपए की पड़ती है।
उन्होंने बताया — ’कज़ान’ नामक इस नई पनडुब्बी में सभी प्रणालियाँ, सभी मशीनें और सारा सिस्टम एकदम नया है और पहले उनका कहीं भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। अब रूस पर लगे विदेशी प्रतिबन्धों के इस दौर में स्थिति यह है कि रूस की सरकार नौसेना के लिए इस तरह की पनडुब्बियाँ तयशुदा योजना से कहीं कम संख्या में ख़रीद पाएगी।
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प्रोफ़ेसर वदीम कज़्यूलिन ने बताया — योजना के अनुसार, रूसी नौसेना को सन् 2020 तक ’यासिन’ वर्ग की कम से कम आठ पनडुब्बियाँ मिलनी चाहिए थीं। लेकिन अब रूस में चल रही आर्थिक मन्दी के इस दौर में रक्षा बजट को कम कर दिया गया है और शायद सरकार दो पनडुब्बियाँ अभी नहीं बनवाएगी। इन दो पनडुब्बियों का निर्माण या तो बाद के लिए टाल दिया जाएगा या उनको बनाया ही नहीं जाएगा।
यह नई पनडुब्बी कैसी है
परियोजना 885 की पनडुब्बियों में रूसी पनडुब्बी डिजाइनरों का वह सारा ज्ञान और वह सारा अनुभव एक साथ इकट्ठा हो गया है, जो उन्होंने पिछले पचास सालों में पनडुब्बियों का विकास करते हुए पाया है। इस पनडुब्बी का डिजाइन अब तक प्राप्त सारे अनुभव का इस्तेमाल करके इस तरह से बनाया गया है कि पनडुब्बी के अगले सबसे मज़बूत हिस्से का आधा ढाँचा हलकी मिश्रित धातुओं से बनाया गया है कि वह पनडुब्बी के चलने से होने वाले शोर को बहुत कम कर देता है।
रूस के पनडुब्बी निर्माण के इतिहास में पहली बार टारपीडो हथियार पनडुब्बी में आगे की तरफ़ नहीं, बल्कि पनडुब्बी के बीच के हिस्से में तैनात किए गए हैं। इस तरह पनडुब्बी के अगले हिस्से में नई सोनार प्रणाली के एण्टेना लगे हुए हैं। पनडुब्बी में मिसाइलों को छोड़ने के लिए आठ लाँचर लगे हुए हैं। पनडुब्बी का ढाँचा बेहद मज़बूत हलके चुम्बकीय लोहे से बनाया गया है।
इसलिए यह पनडुब्बी समुद्र में 600 मीटर की गहराई में या उससे भी ज़्यादा गहराई में डुबकी लगा सकती है, जबकि आम तौर पर पनडुब्बियाँ 300 मीटर की गहराई तक ही जाती हैं। इस तरह इस पनडुब्बी तक दुश्मन के आधुनिकतम पनडुब्बीनाशक मिसाइल भी नहीं पहुँच पाएँगे। यह पनडुब्बी 60 किलोमीटर प्रतिघण्टे की रफ़्तार से आगे बढ़ सकती है। सभी एटमी पनडुब्बियों में आम तौर पर दो एटमी रिएक्टर लगे होते हैं, लेकिन इस पनडुब्बी में सिर्फ़ एक ही एटमी रिएक्टर लगा हुआ है।
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पनडुब्बी में तैनात हथियार
पनडुब्बी के मध्य भाग में मिसाइल विभाग बना हुआ है, जो आठ हिस्सों में बँटा हुआ है। इस विभाग में 24 पनडुब्बीनाशक सामरिक ’ओनिक्स’ मिसाइल तैनात किए जा सकते हैं। यानी हर हिस्से को तीन मिसाइलों से लैस किया जा सकता है। अब इस विभाग में तैनात करने के लिए ’ज़िर्कोन’ नामक हाइपर सोनिक हमलावर मिसाइल बनाए जा रहे हैं। इस पनडुब्बी में लगे बहुपयोगी लाँचरों से सुदूर मार करने वाले ’कैलीबर’ क्रूज-मिसाइल भी छोड़े जा सकते हैं।
सीरिया में चलाए जा रहे सैन्य-अभियान के दौरान पहली बार इन लाँचरों का इस्तेमाल करके देखा गया। तब रूस के काले सागर के नौसैनिक बेड़े में शामिल कास्पियाई विभाग की ग़ैरपरमाणु पनडुब्बी ’रस्तोफ़ न दनू’ ने रूस में प्रतिबन्धित आतंकवादी गिरोह ’इस्लामी राज्य’ (आईएस) के सीरिया स्थित अड्डों पर कुछ मिसाइल छोड़े थे। ढाई हज़ार किलोमीटर की दूरी पार करके इन मिसाइलों ने आतंकवादियों के अड्डों पर अचूक वार किया और उन्हें पूरी तरह से तहस-नहस कर दिया।
इन लाँचरों के अलावा नई रूसी एटमी पनडुब्बी पर 650 और 533 मिलीमीटर के छह टॉरपीडो लाँचर भी लगे हुए हैं। इन टॉरपीडो लाँचरों से यह पनडुब्बी किसी भी प्रकार के आधुनिक टॉरपीडो और सुरंगें शत्रु के युद्धपोतों और पनडुब्बियों पर छोड़ सकती है। यहाँ तक कि इनसे मानवरहित स्वचालित पनडुब्बियों को भी निशाना बनाया जा सकता है।
’कज़ान’ पनडुब्बी की ज़िम्मेदारियाँ
रूस के रणनीतिक शोध संस्थान के सैन्य और आर्थिक नीति विभाग के प्रमुख इवान कनावालफ़ ने रूस-भारत संवाद को बताया — रूस की नई एटमी पनडुब्बी ’कज़ान’ ऐसी पनडुब्बी है, जो समुद्र में हर तरह के काम कर सकती है। वह विमानवाहक युद्धपोत समूह से लोहा ले सकती है, दुश्मन की एटमी पनडुब्बियों का पीछा कर सकती है या समुद्र में किसी भी निशाने पर एक के बाद एक मिसाइल छोड़कर हमला कर सकती है।
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उन्होंने कहा — नई पनडुब्बी को पानी में उन्हीं दिनों में उतारा गया, जब रूस में 29 और 30 मार्च को ’उत्तरी ध्रुव के बारे में बातचीत’ नामक सम्मेलन हो रहा था। इस सम्मेलन में रूस के राष्ट्रपति व्लदीमिर पूतिन ने भी हिस्सा लिया।
उन्होंने कहा — सम्मेलन में रूस ने उत्तर ध्रुवीय इलाके का विकास करने के लिए पश्चिमी देशों के साथ सहयोग करने की तैयारी प्रकट की। इस सम्मेलन में भाग लेने की वजह से राष्ट्रपति पूतिन सिविरद्वीन्स्क भी नहीं जा पाए, जहाँ ’कज़ान’ नामक इस नई और सर्वाधिक शक्तिशाली रूसी पनडुब्बी को पानी में उतारा गया। सभी विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ़ इस सम्मेलन की वजह से ही पूतिन ने सिविरद्वीन्स्क का अपना दौरा स्थगित कर दिया।
रूस-भारत संवाद से बात करते हुए विशेषज्ञों ने यह राय प्रकट की कि पूतिन ने यह तय कर लिया था कि वे देश के आर्थिक कार्यक्रम के साथ देश के राजनैतिक उद्देश्यों को नहीं जोड़ेंगे। लेकिन रूसी सैन्य उद्योग की देखरेख करने वाले रूस के उपप्रधानमन्त्री दिमित्री रगोज़िन ने अपने मन की बात कहने में कोई संकोच नहीं किया। ’कज़ान’ पनडुब्बी को पानी में उतारते वक़्त आयोजित समारोह में बोलते हुए उन्होंने कहा — हाँ, बातचीत करना अच्छी बात है। लेकिन बातचीत तब ही अच्छी होती है, जब आप ताक़तवर भी हों।
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